भंडारा. साकोली तहसील के जांभली निवासी कमलेश अशोक गायधने(21) को एक नाबालिग को भगा ले जाने का आरोप साबीत हो जाने पर 10 वर्ष का सश्रम कारावास और आर्थिक जुर्माना सुनाया गया. यह फैसला भंडारा के जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.बी. तिजारे ने 4 मई को सुनाया.
इस घटना में फरियादी मजदूरी करता है. उसकी नाबालिग बेटी 10 वीं कक्षा में पढती थी.वह हर दिन सुबह 9.45 बजे स्कूल जाकर शाम को घर लौट आती. लेकिन पिछले 20 दिनों से मां की तबीयत ठीक नहीं रहने से वह स्कूल नहीं जा रही थी. 7 जनवरी 2019 को सुबह 7 बजे किसी काम की वजह से फरियादी भंडारा चला गया. शाम 7.15 बजे उसे पडौसी प्रफुल्ल चरणदास वालकर का फोन आया. उसने बताया कि उसकी बेटी घर में नहीं है. तलाश करने पर भी आजूबाजू में नहीं दिखी. फरियादी घर लौट आया.
पत्नी को पूछने पर उसने बताया कि सुबह 10 बजे के दौरान वह कुए से पानी लाने गई थी. लेकिन लौटकर नहीं आई. बाद में पता चला कि गांव का ही कमलेश गायधने घर में नहीं है.कमलेश पर नाबालिग को भगा ले जाने के संदेह में साकोली थाने में शिकायत दर्ज कराई गई.
पुलिस ने भादंवि की धारा 363, 376(2)(एन),376(3),बाल लैंगिंक अत्याचार प्रतिबंधक कानून की धारा 4,6, अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक कानून की धारा 3(2)(5), 3(2)(बी) के तहत मामला दर्ज किया. साकोली के तत्कालीन उपविभागीय पुलिस अधिकारी प्रभाकर तिक्कस के मार्गदर्शन में परिविक्षाधीन पुलिस उपनिरीक्षक धीरज खोबरागडे ने जांच की और मामला न्यायालय को सौंपा.
न्यायाधीश ने पोक्सो कानून के तहत अरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 3 हजार रुपए जुर्माना सुनाया. जुर्माना न भरने पर 3 माह का साधा कारावास का प्रावधान किया. इसके अलावा धारा 363 के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 1 हजार का जुर्माना सुनाया. जुर्माना नहीं भरने पर एक माह का साधा कारावास भुगतना होगा. इस मामले में सरकारी पक्ष अभियोक्ता दुर्गा तलमले ने रखा.