Everyone eyes are fixed on Amethi Rae Bareli Kaiserganj seats of UP in Lok Sabha elections 2024
लोकसभा चुनाव 2024

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लखनऊ: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सीटें खास मायने रखती हैं। देश में उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाला राज्य है। यही वजह है कि यूपी की राजनीति पर पूरा देश नजर बनाए रखती है। दूसरी ओर यूपी की अमेठी, रायबरेली और कैसरगंज सीट पर देश की नेशनल पार्टी कांग्रेस और बीजेपी अब तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है, जबकि इन तीनों सीटों पर नामांकन प्रकिया चालू है।

उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली कांग्रेस की गढ़ मानी जाती रही है। 1980 से 1996 तक यानी 16 साल लगातार इस सीट पर कांग्रेस ने राज किया। सोनिया गांधी ने 1999 में पहली बार चुनाव लड़ने का फैसला लिया तो वह अमेठी से ही चुनाव लड़ीं और 2004 लोकसभा चुनाव तक यहां की सांसद रहीं। सोनिया गांधी के बाद इसी सीट पर उनके बेटे राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा। वह यहां से लोकसभा चुनाव 2004, 2009 और 2014 जीते।
हालांकि 2019 के चुनाव में राहुल अमेठी से बीजेपी प्रत्याशी रहीं स्म‍ृति इरानी से हार गए।

2024 चुनाव में अगर कांग्रेस राहुल गांधी को अमेठी सीट से अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो एक बार उनके सामने बीजेपी की प्रत्याशी के तौर पर स्मृति इरानी होंगी। ये तीसरा मौका होगा जब दोनों प्रतिद्वंदी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड‍़ेंगे। 2019 में राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़े थे, यहां से उन्होंने बंपर मतो से जीत हासिल की थी। इस बार फिर वह वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अमेठी से दोबारा चुनाव लड़ेंगे की नहीं इसका फैसला कांग्रेस पार्टी अभी नहीं कर पाई है।

राहुल गांधी पर होगा दबाव

अगर कांग्रेस अमेठी से राहुल गांधी को अपना उम्मीदवार घोषित करती है तो उनपर दोहरा दबाव होगा। राहुल गांधी की साख दांव पर जो लगेगी सो लगेगी ही साथ इस चुनाव से हो सकता है उनकी राजनीतिक भविष्य दिशा और दशा भी तय करेगी। अगर राहुल गांधी जीतते हैं तो उनके लिए सारी चीजें सकारात्मक होगा। यूपी जैसे राज्य में एक बार फिर से उनकी लोकप्रियता और लोगों में उनके प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी। जोकि आगामी चुनावों में अहम और निर्णायक रोल निभाएगी। दूसरी तरफ अगर राहुल गांधी हारते हैं तो उन्हें यूपी में पैठ जमाने के लिए। एक बार फिर शुरू से शुरूआत करनी पड़ेगी।

रायबरेली में अब कौन

दूसरी ओर रायबरेली सीट की बात करें तो यहां भी कांग्रेस का दबदबा रहा है। शुरुआत में इस सीट पर 1952 और 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चुनाव लड़े। रायबरेली सीट पर 1967 में पहली बार इंदिरा गांधी चुनावी मैदान में उतरी थीं। वह यहां से लगातार दो बार सांसद चुनी गईं। 25 साल तक यानी 1952 से लेकर 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। 1980 में फिर से इंदिरा गांधी इस सीट से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज कीं तब से 1996 तक यहां कांग्रेस का राज रहा। 2004 में कांग्रेस की उम्मीदवार के रूप में अपनी मदर-इन-लॉ और फादर-इन-लॉ के निवार्चन क्षेत्र से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया। तब से वह इस सीट पर अजेय रहीं। इस तरह से देखें तो रायबरेली की 72 साल के इतिहास में 59 साल कांग्रेस ने राज किया है।

हालांकि सोनिया गांधी के राज्यसभा की सदस्यता लेने के बाद ये तय हो गया कि वह अब राजनीति से सन्यास लेने की ओर हैं। सोनिया गांधी के राज्य सभा की सदस्यता लेने के बाद से एक ही सवाल उठ रहा है रायबरेली में अब कौन? 2024 के चुनाव में दो चरण का मतदान हो चुका है। रायबरेली में पांचवे चरण में मतदान होगा। इस चरण के मतदान के लिए नामांकन प्रक्रिया अंतिम दौर पर है, लेकिन कांग्रेस अभी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी है। हालांकि उम्मीद जताया जा रहा है कि सीट से प्रियंका गांधी उतर सकती हैं, लेकिन कभी हां कभी न की स्थिति बरकरार है।

BJP के लिए कैसरगंज में फंसा पेंच

उत्तर प्रदेश की जो तीसरी लोकसभा सीट है जिस पर सबकी नजरें अटकी है वो है कैसरगंज लोकसभा सीट। इस सीट पर तो किसी पार्टी के गढ़ होने जैसा कोई ठप्पा नहीं लगा है। पर व्यक्ति विशेष का गढ़ होने का ठप्पा जरूर लगा है। इस सीट पर बीजेपी 2009 से लगातार चुनाव जीत रही है। यह क्षेत्र तीनों बार के बीजेपी उम्मीदवार से सांसद बने बृजभूषण शरण सिंह का गढ़ माना जाता है। इसके अलावा बृजभूषण शरण सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष भी रहें।। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) का अध्यक्ष रहतबे उनके खिलाफ महिला पहलवानों यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया था।

बृजभूषण को नजर अंदाज नहीं कर पा रही बीजेपी

भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई के लिए महिला पहलवानों ने कई दिनों तक उनके खिलाफ धरना दिया। महिला पहलवानों के आगे उन्हें गेठुने टेकने पड़े और उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष से स्तीफा देना पड़ा। WFI के पूर्व अध्यक्ष और सांसद पर लगाए कथित आरोपों पर क्लीन चिट नहीं मिला है। दूसरी ओर महिलाओं की हितैशी बनने वाली भारतीय जनता पार्टी के बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देना गले का फांस जैसा है। दूसरी ओर बृजभूषण जिताऊ कैंडीडेट भी हैं, जिस वजह बीजेपी उन्हें खुलकर नजरअंदाज भी नहीं कर पा रही है।

अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह के किसी करीबी को टिकट दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उनके बेटे करण सिंह को टिकट मिल सकता है। हालांकि पार्टी ने अब तक आधिकारिक रुप से ऐसा कोई एलान नहीं किया है। कुल मिलकार जिस तरह कांग्रेस अमेठी और रायबरेली से अपना उम्मीदवार नहीं उतार पा रही है उसी तरह कैसरगंज सीट पर बीजेपी के लिए भी मुस्किलें हो रही हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीट है। यूपी में सात चरणों में मतदान होना है, जबकि दो चरण के मतदान में यूपी के 16 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) 2024 के पांचवे चरण का मतदान 20 मई को है। इसमें यूपी की 14 सीटों पर मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद अब अयाध्या, कैसरगंज और गाेंडा में मतदान होगा। पांचवे चरण के मतदान के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रहा है, जो कि अपने अंतिम दौर पर है। इनमें शामिल तीन सीट रायबरेली, अमेठी से कांग्रेस और कैसरगंज सीट से बीजेपी अपना उम्मीदवार नहीं उतार सकी है। देश भर की नजरें यूपी की इन तीनों सीटों पर अटकी हुई है।