N. Ramachandra Rao Says Congress and Left parties tried to take political advantage on Rohith Vemula suicide
BJP के पूर्व विधान परिषद सदस्य एन. रामचंद्र राव

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हैदराबाद: रोहित वेमुला की आत्महत्या (Rohith Vemula suicide Case) के मामले में आरोपी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व विधान परिषद सदस्य एन. रामचंद्र राव (N. Ramachandra Rao) ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और वाम दलों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र की मौत को भाजपा से जोड़कर राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश की थी। रामचंद्र राव ने शुक्रवार को कहा कि वेमुला की आत्महत्या की घटना दुखद है लेकिन कांग्रेस और वाम दलों का रवैया निंदनीय था।

रोहित वेमुला आत्महत्या मामला क्लोज

राव ने यह टिप्पणी पुलिस द्वारा एक स्थानीय अदालत के समक्ष मामले को बंद करने की रिपोर्ट (closure report) दाखिल किए जाने और इस मामले में राव सहित अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दिए जाने के बाद की। पुलिस ने दावा किया कि रोहित वेमुला दलित नहीं था और उसने उसकी असली पहचान उजागर होने के डर से 2016 में आत्महत्या कर ली थी। इस बीच, छात्रों के एक समूह ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अप्पा राव पोडिले के खिलाफ नारे लगाए।

क्लोजर रिपोर्ट पर चुनौती देगा वेमुला का परिवार

अप्पा राव पोडिले इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (SFI) ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के मामले को बंद करने के लिए पुलिस द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट विडंबनापूर्ण है। इसमें कहा गया, कांग्रेस सरकार और उसकी पुलिस सबूत के अभाव के बावजूद रोहित के दलित नहीं होने की बात कहकर भाजपा की झूठी कहानी का समर्थन कर रही है। वेमुला के परिवार ने शुक्रवार को कहा कि वह रोहित के आत्महत्या मामले में तेलंगाना पुलिस की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को कानूनी रूप से चुनौती देगाा।

मजिस्ट्रेट से आगे की जांच अनुमति का अनुरोध

रोहित वेमुला के भाई राजा वेमुला ने कहा कि परिवार की अनुसूचित जाति के होने के बारे में जिलाधिकारी को फैसला लेना है। इस पर पुलिस ने कहा कि वह आगे की जांच करेगी। रोहित वेमुला के परिवार द्वारा व्यक्त किए गए संदेह का जिक्र करते हुए तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक रवि गुप्ता ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि संबंधित अदालत में एक याचिका दायर की जाएगी और मजिस्ट्रेट से आगे की जांच की अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा।