HDFC Top 100 Fund

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मुंबई: 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रबंधन कोष वाला एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) निवेशकों को लगातार अच्छा रिटर्न (Return) देने में सबसे आगे है। इसका प्रमाण है देश के इस तीसरे बड़े फंड हाउस की लार्ज कैप इक्विटी स्कीम ‘एचडीएफसी टॉप 100 फंड’ (HDFC Top 100 Fund), जिसने पिछले 27 वर्षों में वार्षिक 18।5% का जोरदार रिटर्न प्रदान कर लाखों निवेशकों (Investors) को मालामाल किया है। जबकि विगत एक साल में तो इसका रिटर्न 35% से अधिक रहा है। इस स्कीम का प्रबंधन कोष 32,000 करोड़ रुपए के पार हो चुका है। ‘एचडीएफसी टॉप 100 फंड’ की सफलता, इक्विटी मार्केट आउटलुक और निवेश अवसरों के संबंध में एचडीएफसी म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर राहुल बैजल (Rahul Baijal) से ‘नवभारत’ के बिजनेस एडिटर विष्णु भारद्वाज की विस्तृत चर्चा हुई। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-

‘एचडीएफसी टॉप 100 फंड’ ने 27 साल पूरे कर लिए हैं। इसके प्रदर्शन पर आप क्या कहना चाहेंगे?  
देखिए, एचडीएफसी टॉप 100 फंड  ने पिछले 27 साल में हर बड़ी तेजी और हर बड़ी मंदी देखी है। इक्विटी मार्केट में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं, सभी का बखूबी सामना करते हुए बेहतरीन प्रदर्शन करने में सफलता पाई है। यह एक लार्ज कैप फंड है, इसलिए इस फंड में करीब 80% लार्ज कैप शेयरों (Large Cap Stocks) में निवेश होता है। अभी इस फंड में करीब 95% एलोकेशन लार्ज कैप शेयरों में है।

इस अच्छी सफलता के लिए क्या रणनीति अपनाई गयी?
जैसा कि नाम से जाहिर है, एचडीएफसी टॉप 100 फंड देश की शीर्ष 100 कंपनियों के शेयरों यानी लार्ज कैप शेयरों में निवेश करता है। इस तरह लार्ज कैप फंड होने के कारण इसमें हम बॉटम-अप स्टॉक सलेक्शन अप्रोच अपनाते हैं। लार्ज कैप शेयरों में मैनेजमेंट क्वालिटी का इश्यू आमतौर पर नहीं होता है, लेकिन हर समय हर सेक्टर नहीं चलता है। सेक्टर रोटेशन होता रहता है। आगे कौनसा सेक्टर ज्यादा चलेगा, उसी पर फोकस किया जाता है। हमारा मानना है कि लार्जकैप फंड में वैल्यू (Value) और ग्रोथ (Growth), दोनों पर फोकस कर निवेश किया जाए तो अच्छी सफलता मिल सकती है।

वर्तमान में, रिटेल निवेशक को इक्विटी में संतुलित पोर्टफोलियो बनाने के लिए आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
आज तेजी के माहौल में जिस तरह के महंगे वैल्यूएशन (High Valuation) हो गए हैं। उसे देखते हुए मेरा विचार यही है कि लार्ज कैप (Large Cap Funds)  या फ्लेक्सी कैप फंडों (Flexi Cap Funds) में ज्यादा एक्सपोजर रखना चाहिए क्योंकि लार्जकैप में वैल्यूएशन महंगे नहीं है, जोखिम कम है। जबकि मिड और स्मॉलकैप में वैल्यूएशन महंगे हो गए हैं। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balanced Advantage Fund) भी सही हैं।

कुछ महीनों पहले बाजार में कई विशेषज्ञों ने मिडकैप और स्मॉलकैप में वैल्यूएशन महंगे होने के कारण इनसे दूर रहने की बातें कहीं थी, लेकिन अब फिर मिड और स्मॉल कैप इंडेक्स नई ऊंचाइयां छूने लगे हैं?  
इसका कारण यह है कि इन्वेस्टर्स को इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) का आउटलुक (Outlook) अच्छा दिख रहा है और यदि पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार फिर निर्वाचित होती है तो ग्रोथ और तेज होने की उम्मीद बढ़ जाएगी।

देश में आम चुनाव हो रहे हैं। क्या स्थिति बनती दिख रही है और मार्केट का आउटलुक क्या लग रहा है?
अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अगले दो-तीन साल में देश की आर्थिक विकास 6 से 7 प्रतिशत आती दिख रही है। महंगाई लगभग नियंत्रित है, अधिक चिंता की बात नही हैं। अमेरिका और अन्य बाजारों में भी तेजी का माहौल है। दो-तीन साल का व्यू (View) देखे तो इंडियन मार्केट काफी अच्छा लग रहा है। हालांकि उतार-चढ़ाव तो आएंगे। इसलिए लार्जकैप में अधिक फोकस रखना चाहिए।

वर्तमान में कौन से सेक्टर पॉजिटिव लग रहे हैं और कौनसे निगेटिव?
मौजूदा समय में प्राइवेट बैंक (Private Banks), पावर (Power), डिफेंस (Defence), इंडस्ट्रियल (Industrial) और फार्मा सेक्टर (Pharma Sector) अच्छे लग रहे हैं। प्राइवेट बैंकों की वैल्यूएशन सुधर रही है। देश में पावर की बढ़ती मांग के कारण अगले दो-तीन साल में ग्रीन और थर्मल पावर की नई क्षमता बढ़ानी होगी। कैपेक्स बढ़ेगा। डिफेंस तो मल्टी ईयर थीम है, सरकार का काफी फोकस है। भारतीय डिफेंस कंपनियों के लिए निर्यात अवसर भी बढ़ने लगे हैं। फार्मा में भी रिकवरी आ रही है। जबकि आईटी सेक्टर (IT Sector) में, अमेरिका में रिकवरी धीमी होने से ग्रोथ सुस्त है। कंज्यूमर स्टेपल सेक्टर (Consumer Staples Sector) में डिमांड कम है और वैल्यूएशन महंगे लग रहे हैं।

विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार सेलिंग कर रहे हैं। यह भी एक चिंता है और क्या इससे बड़ी गिरावट आ सकती है?
मेरे हिसाब से विदेशी निवेशक की सेलिंग (Selling) हमारे लिए अपॉर्च्युनिटी (Opportunity) है। कुछ विदेशी निवेशत भारत में आम चुनावों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं तो कुछ करेक्शन (Correction) का। मुझे उम्मीद है कि चुनाव बाद राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट होने के बाद विदेशी निवेशक कमबैक करेंगे क्योंकि इतनी हाई ग्रोथ (High Growth) दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं है। इसलिए विदेशी निवेशकों की सेलिंग कोई बड़ी चिंता नहीं है। ज्यादा बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। निचले स्तरों पर सपोर्ट मिल रहा है। भारतीय निवेशकों का निवेश लगातार बढ़ रहा है। जबकि बाजार के लिए चिंता की बात जियो पॉलिटिकल टेंशन (Geopolitical Tension) बढ़ने या क्रूड ऑयल कीमतें (Crude Oil Prices) 100 डॉलर के ऊपर जाने पर होगी।