यह भुला दिया गया कि आडवाणी बीजेपी के संस्थापक, नेताओं में से एक रहे हैं.
आखिर केरल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने इस बात का ऐलान कर दिया कि मेट्रोमैन ई. श्रीधरन केरल में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. यह कैसी विसंगति और विरोधाभास है कि बीजेपी ने उम्र अधिक होने से लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सक्रिय राजनीति से दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंका तथा उन्हें ऐसा परामर्श मंडल में डाल दिया जिसका परामर्श कभी नहीं लिया जाता.
यह भुला दिया गया कि आडवाणी बीजेपी के संस्थापक, नेताओं में से एक रहे हैं. इसी बीजेपी ने 75 की उम्र पार करने वाले नेताओं की चुनाव में टिकट नहीं देने का नियम बनाया और कल्याणसिंह व शंताकुमार जैसे नेताओं को किनारे लगा दिया. अब यही बीजेपी खुद के बनाए नियमों की मिट्टीपलीद करते हुए 88 वर्षीय श्रीधरन को केरल में सीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है.
कथनी और करनी का अंतर इसे ही कहते हैं. यदि श्रीधरन की 88 वर्ष की उम्र सीएम बनने में बाधक नहीं है तो उन्हीं की तरह चुस्त और अच्छे स्वास्थ्य वाले लालकृष्ण आडवाणी को मोदी सरकार ने अवसरों से क्यों वंचित रखा? क्या अपने इस सीनियर भी मोदी राष्ट्रपति चुनाव के समय याद नहीं आई.
कम से कम पूछा तो होता. क्या पार्टी के लिए आडवाणी क्यों वृद्ध और श्रीधरन युवा हैं? क्या मौका देखकर पार्टी की नीतियां का रंग बदल जाता है? लोगों को याद है कि जब आडवाणी ने रामरथ यात्रा निकाली थी तब मोदी उनके यात्रा प्रबंधक हुआ करते थे. बाद में आडवाणी अर्श से फर्श पर ला दिए गए.