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    अकोट. ग्राम लासुर के 28 वर्षीय व्यक्ति ने एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसका यौन उत्पीड़न किया. 9 अगस्त को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उसे दोषी ठहराया और पोस्को अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इस घटना की जांच तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक शुभांगी कोरडे दिवेकर ने की थी. 

    29 जून 2017 को सुबह करीब 10 बजे पीड़िता यह कहकर घर से निकली थी कि वह छात्रवृत्ति के पैसे निकालाने के लिये और ट्युशन क्लास लगाने के लिये बाहर जा रही है. लेकिन शाम को वह घर नहीं आई. इसलिए उसके रिश्तेदारों ने पीड़िता को उसके सहेली और रिश्तेदारों के यहां ढूंढा. लेकिन वह कहीं नहीं मिली. इसलिए पीड़िता के विवरण के साथ थाने में शिकायत दर्ज कराई. जिससे आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

    आरोपी मंगेश चव्हान ने पीड़िता से झूठ बोला और उसे सूरत ले गया. 29 सितंबर 2017 को पीड़िता और आरोपी को सिटी थाने में हाजिर किया गया. इस समय आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. पीड़िता का बयान दर्ज किया गया और मेडिकल जांच से पता चला कि पीड़िता गर्भवती थी. इस कारण दर्ज प्रकरण में धारा 366, 376, (2) (जे) भा.दं वी.के तहत मामला दर्ज किया गया. पीड़िता नाबालिग बच्ची थी.

    जन्म प्रमाण पत्र की तारीख से साबित हुवा था. इसलिए प्रकरण में धारा 3,4,5, (एल), (एन), (जे), 6 धारा बढ़ाकर पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया. उक्त अपराध की जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया. उपरोक्त अपराध के आरोपी पर उपरोक्त खंड का आरोप लगाया गया था. आरोपी के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए कुल 16 गवाहों से पूछताछ की गई.

    आरोपी के विरूद्ध अपराध सिद्ध होने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाविस्कर की अदालत ने आरोपी को बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3 (ए) और 4 के तहत दस साल के कड़ा कारावास और 10,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना नहीं भरने पर दो साल की और सजा. यौन शोषण से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 6 के तहत अंत होने तक आजीवन कारावास और 20,000 रुपए का जुर्माना और भुगतान नहीं करने पर तीन साल की कैद की सजा.

    आईपीसी की धारा 363 के तहत दंडनीय अपराध के लिए आरोपी को सात साल का कड़ा कारावास और 6,000 रुपए का जुर्माना. भुगतान नहीं करने पर एक साल की और कैद. आरोपी से जुर्माना की कोई भी राशि वसूल होने पर पीड़िता को 75 प्रतिशत जुर्माना अदा करने का आदेश दिया.

    उक्त प्रकरण में सरकार पक्ष की तरफ से अधिवक्ता जी.एल. इंगोले ने अदालत में युक्तिवाद किया. उपरोक्त प्रकरण की जांच सहायक पुलिस निरीक्षक शुभांगी कोरडे दिवेकर द्वारा की गई. पुलिस हेड कांस्टेबल संजय पोटे ने पैरवी के रूप में न्यायालय के प्रकरण में सहयोग किया.