अकोला. नागरिकों की शिकायत है कि आंगनवाड़ी केंद्र लाभार्थियों को एक्सपायर्ड और घटिया आहार उपलब्ध करा रहे हैं. सरकार महिला एवं बाल कल्याण विभाग के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और छह साल तक के बच्चों को आहार उपलब्ध कराती है. मुर्तिजापुर तहसील में कुल 191 आंगनवाड़ी हैं.
प्रत्येक आंगनवाड़ी में 1 सेविका और एक सहायिका कार्यरत होने की है, लेकिन इस तहसील में 15 सेविका और 26 सहायिकाओं के लिए रिक्तियां हैं. इससे आंगनबाड़ियों के कामकाज पर विपरीत असर पड़ रहा है. लेकिन सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले आहार की गुणवत्ता भी घटिया है.
लाभार्थियों को दिए जानेवाले कुछ पाकिट कालबाह्य रहने से लाभार्थियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. मुर्तिजापुर तहसील में सोनोरी आंगनवाड़ी क्र.3 में लाभार्थी महिला के पति प्रमोद पाथरे ने शिकायत की है कि उन्हें कालबाह्य अनाज के साथ-साथ किड़ा लगा हुआ और तिलचट्टा युक्त चना और मिर्च पाउडर मिल रहा है.
इसके लिए कौन जिम्मेदार
पिछले महीने के आंकड़ों के मुताबिक, इस तहसील में 6 महीने से 3 साल के आयु वर्ग में 4,522, 3 से 6 वर्ष के आयु वर्ग के 5,493 बच्चे तथा 1 हजार गर्भवती और 807 स्तनपान कराने वाली माताएं भी हैं. 1-1 माह के आहार के मांग की सूचना जिला परिषद के बाल कल्याण विभाग को दी जाती है.
सरकार द्वारा नियुक्त समिति सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मांग दर्ज कर भोजन की आपूर्ति करती है. आंगनवाड़ी सेविका, सहायिकाओं के सहयोग से पंचायत समिति के बाल विकास परियोजना अधिकारी के नियंत्रण में आंगनवाड़ी कार्य किया जाता है.
तो अगर इस पूरी प्रक्रिया में एक्सपायर्ड आहार उपलब्ध कराया जा रहा है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह सवाल उपस्थित होता है. एक्सपायर्ड आहार के सेवन से फूड पॉइजनिंग की संभावना, गर्भवती महिलाओं के भ्रूण पर प्रतिकूल प्रभाव और स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों की बीमारी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि यह गंभीर प्रकार शीघ्र दूर किया जाएगा.
आहार पौष्टिक होना चाहिए. पोषण आहार यह पुराना और निम्न गुणवत्ता का नहीं होना चाहिए. ग्राम सोनोरी की आंगनवाड़ी क्र.3 से मिला आहार कालबाह्य है. मुझे जो आहार मिला है जिसमें चने को किड़ा लगा हुआ और तिलचट्टा युक्त मिला है और मिर्च पावडर के पाकिट यह एक्सपायरी डेट गई हुए मिले हैं. -प्रमोद पाथरे (लाभार्थी महिला के पति)
हमें जितने लाभार्थियों का आहार प्राप्त होता है, उतना आहार हम जिस तरह प्राप्त होता है वैसा ही लाभार्थियों में वितरित कर देते हैं. -कल्पना तांबड़े (आंगनवाड़ी सेविका)