File Photo
File Photo

    Loading

    अकोला. सोमवार से अकोला जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है. तापमान अब 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है जिससे कोरोना, लू लगना और अन्य जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इस दौरान बीमारी में शरीर का तापमान निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ने से यानी 102 फैरनाइट या इससे अधिक बढ़ जाने से अंगों को हानि पहुंचने के साथ ही यदि रोगी बेहोश हो जाता है और समय पर उपचार नहीं मिलता है, तो मृत्यु का कारण बन सकता है. इसलिए गर्मी से सतर्क रहने का आह्वान स्वास्थ्य उप संचालक डा.राजकुमार चौहान ने किया है.

    प्रति वर्ष विदर्भ के कई हिस्सों में अप्रैल और मई माह में गर्मी की लहर आती है. इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में ही सूरज ने आग बरसाना शुरू कर दिया है. विदर्भ के लगभग सभी जिलों में पिछले कुछ दिनों में दोपहर का तापमान 40 डि.से. से अधिक दर्ज किया गया है. सोमवार और मंगलवार को अकोला में तापमान 41 डि.से. दर्ज किया गया है. बुधवार को न्यूनतम तापमान 20.6 डि.से. तथा अधिकतम तापमान 41.6 डि.से. रहा. इसी तरह आज के न्यूनतम तापमान में वृद्धि देखी गयी है.

    स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर

    आज का न्यूनतम तापमान 24.6 डि.से. रहा है. अब स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है क्योंकि तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है. अकोला में 73 साल पहले 22 मई 1947 को 47.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया था.

    छोटे बच्चों व बुजुर्गों को खतरा

    धूप या गर्मी में काम करने वाले लोग, खेत में काम करने वाले लोग तथा दिल की बीमारी, गुर्दे, यकृत और त्वचा के विकार वाले लोग, इसी तरह उच्च रक्तचाप वाले लोग, धूम्रपान करने वाले और शराब पीने वाले लोग, छोटे बच्चे और बुजुर्ग लोगों को हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक हैं. इसलिए अगर आप इन गर्मियों के दिनों में अधिक से अधिक ठंडा पानी पिएं, दोपहर की धूप में कोई काम न करें, जरूरी काम करते समय अपना सिर ढकें, गॉगल का इस्तेमाल करें, छाया में आश्रय लें, सूती कपड़े पहनें, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयुवाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

    यदि आपको अत्यधिक पसीना, कमजोरी, सुस्ती, सिरदर्द, धड़कन और मतली जैसे लक्षण अनुभव होते हैं, तो टोल फ्री नंबर 108 पर कॉल करें, ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों और किसानों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार लेना चाहिए, यह आह्वान अकोला मंडल के स्वास्थ्य सेवा उप संचालक डा.राजकुमार चौहान ने किया है. उन्होंने कहा कि हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में हीट स्ट्रोक रूम स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं.

    पिछले चार सालों में तीन की मौतें!

    पिछले चार सालों में अमरावती संभाग के पांच जिलों में हीटस्ट्रोक के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है. सन 2017 में अमरावती डिवीजन में हीटस्ट्रोक से कुल 44 लोग मारे गए थे, उस समय अमरावती में एक की मौत हो गई थी. सन 2018 में विभाग के 73 लोगों हीटस्ट्रोक से पीड़ित हुए थे. तब भी अमरावती में दो लोगों की मौत हुई थी. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2019 में विभाग में 138 लोग हीटस्ट्रोक की चपेट में आए, लेकिन इनमें से किसी को भी हीट स्ट्रोक के कारण मौत नहीं हुई थी. पिछले साल 2020 में और अभी भी विभाग में कोई हीटस्ट्रोक रोगियों की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है.