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Published: May 30, 2021 10:10 AM IST

Retail Marketsमहाराष्ट्र के व्यापारी 1 जून से खोलेंगे दुकानें!, ना कमाई, ना मदद, कैसे जिएं व्यापारी?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. चाइनीज वायरस कोविड (Covid-19) की दूसरी लहर पर नियंत्रण के लिए किए गए लॉकडाउन (Lockdown) को महाराष्ट्र में दो महीने होने को आए। लॉकडाउन-2 के कारण अधिकांश थोक एवं खुदरा बाजारों में दुकानें (Shops) बंद हैं। कमाई ठप है, नियमित खर्चें जारी हैं, लोन और टैक्स देनदारी कायम हैं। इसके बावजूद सरकार से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है। इस वजह से भारी घाटे से त्रस्त व्यापारियों (Traders) में आक्रोश व्याप्त हो रहा है।

 व्यापार महासंघ ‘कैट’ (CAIT) ने कहा है कि अब व्यापारी और घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। राज्य सरकार या तो एक जून से सभी दुकान खोलने की मंजूरी दे या व्यापारियों को घर बैठे न्यूनतम वेतन दे। नहीं तो व्यापारी दुकानें खोल देंगे। व्यापारी संगठनों ने राज्यपाल से भी मंजूरी दिलाने का आग्रह किया है।

दुकानें खोलने का समर्थन करेगी भाजपा : लोढ़ा

व्यापारियों को दुकानें खोलने के लिए भाजपा (‍BJP) ने अपना समर्थन देते हुए राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि महाराष्ट्र सरकार ने 1 जून से मुंबई में दुकाने खोलने की मंजूरी नहीं दी तो अपनी दुकाने खोलने वाली व्यापारियों का भाजपा समर्थन करेगी। मुंबई भाजपा अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा ने व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और लॉकडाउन के कारण छोटे दुकानदारों एवं व्यापारियों को हो रहे भारी नुकसान से अवगत कराया। साथ ही लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद दुकानों को जीएसटी (GST) और बिजली बिलों (Electricity Bills) में छूट देने की मांग भी की। राज्यपाल ने इस विषय पर तुरंत राज्य सरकार से बात कर आवश्यक कार्यवाही किए जाने का भरोसा दिया। विधायक लोढा ने कहा कि राज्य सरकार सभी दुकानदारों, व्यापारियों तथा संस्थानों को 1 जून  से नियमित रूप से खोलने की मंजूरी प्रदान करें। क्योंकि अब वे और घाटा सहन नहीं कर सकते हैं।

व्यापारियों को न्यूनतम वेतन दे सरकार : ठक्कर

‘कैट’ के महानगर अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि दो महीनों से लगातार कारोबार बंदी से व्यापारियों की कमर टूट चुकी है। कई छोटे व्यापारियों के तो भूख मरने की नौबत आ गयी है। अब तक मुंबई सहित पूरे राज्य के करीब 25 लाख व्यापारियों को 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक का भारी व्यापार घाटा हो चुका है। व्यापारी अब और घाटा सहन नहीं कर सकते हैं। सरकार अपने कार्यालयों में 15% स्टाफ को बुलाकर कर्मचारियों को पूरा वेतन दे रही है, लेकिन ना लॉकडाउन-1 और ना लॉकडाउन-2 में दुकानदारों के लिए किसी भी प्रकार की मदद या पैकेज दिया है। यह व्यापारियों के साथ सरासर अन्याय है। सरकार को आगे लॉकडाउन लगाना है तो व्यापारी एवं उनके कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन मुहैया कराए अन्यथा व्यापारियों के सब्र का बांध टूट जाएगा और व्यापारी स्वत: ही दुकान खोल देंगे, जिसके लिए सरकार पूर्णत: जिम्मेदार होगी।

राहत पैकेज की घोषणा करें सरकार : शाह

फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेड एसोसिएशन (FRTWA) के अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में गैर आवश्यक वस्तुओं की 13 लाख से अधिक दुकानें गत दो महीने से बंद है और उनके पास काम करने वाले 60 लाख से अधिक कर्मचारियों और इन सभी निर्वहन करने वाले दो करोड़ लोगों को लॉकडाउन से हो रही भारी परेशानी के बारे में सरकार को संजीदगी के साथ सोचना चाहिए और तुरंत राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।

हालत अत्यंत दयनीय : गुरनानी

‘कैमिट’ (CAMIT) के अध्यक्ष मोहन गुरनानी ने कहा कि छोटे व्यापारियों की हालत दयनीय हो गई है। कर्ज और अन्य समस्याओं से ग्रसित कुछ व्यापारियों ने आत्महत्या तक का कदम उठाया है। इसलिए सरकार को तुरंत दुकानें खोलने की मंजूरी देनी चाहिए। साथ ही सरकार को लॉकडाउन के समय के सभी प्रकार के टैक्स माफ करने चाहिए। व्यापारी सरकार के सभी कोरोना बचाव नियमों का पालन करने के लिए तैयार हैं। दुकानों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की अनुमित दी जानी चाहिए।