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Published: Mar 02, 2021 10:03 AM ISTGood News Petrol Diesel जल्द होगा सस्ता, मोदी सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला : रिपोर्ट
नई दिल्ली. पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी की चोट पर सरकार अब मरहम लगाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल मोदी सरकार एक्साइज़ ड्यूटी कम करने पर विचार कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 महीनों के दौरान कच्चे तेल (Crude Oil) के भाव में दोगुनी बढ़त ने भारत में ईंधन के दाम में इजाफा कर दिया है, लेकिन, पेट्रोल-डीज़ल (Petrol diesel price) के खुदरा दाम पर आम जनता को करीब 60 फीसदी तक टैक्स व ड्यूटीज़ चुकाना पड़ रहा है। बता दें कि, मोदी सरकार ने पिछले 12 महीने में पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स में दो बार बढ़ाए है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयतक देश है।
मार्च के मध्य तक लिया जा सकता है फैसला
वित्त मंत्रालय अब विभिन्न राज्यों, तेल कंपनियों और तेल मंत्रालय के साथ मिलकर टैक्स कम करने के रास्ते पर विचार कर रहा है। सरकार इस पर भी ध्यान दें रही है कि , उसके फाइनेंस पर कोई बुरा असर न पड़े। एक सूत्र के अनुसार ‘हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे कीमतों को स्थिर रखा जाए। मार्च महीने के मध्य तक इस पर कोई फैसला ले सकेंगे। ‘नाम ने ज़ाहिर करने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा कि सरकार चाहती है कि टैक्स कटौती से पहले तेल का भाव स्थिर हो। केंद्र एक बार फिर टैक्स स्ट्रक्चर में कोई बड़ा बदलाव नहीं करना चाहती है। इस बीच अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ रहा है।
OPEC+ की बैठक से उम्मीद
सूत्र के अनुसार, ईंधन पर टैक्स को लकर फैसला OPEC और अन्य तेल उत्पादक देशों के बीच बैठक के बाद ही होगा। इसी सप्ताह में यह बैठक होनी है। सूत्र ने कहा, ‘इस बात की उम्मीद है कि OPEC+ तेल आउटपुट बढ़ाने की दिशा में कोई फैसला लेगा। हमें उम्मीद है कि उनके इस फैसले के बाद कीमतों में स्थिरता देखने को मिलेगी।’ भारत ने ओपेक प्लस देशों से अपील की है कि वो तेल उत्पादन बढ़ाएं। दरअसल, ईंधन के बढ़ते दाम की वजह से एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महंगाई भी बढ़ रही है।
ईंधन पर टैक्स से हुई इतनी कमाई
बता दें कि पेट्रोलियम सेक्टर से केंद्र और राज्य सरकार की झोली में करीब 5.56 लाख करोड़ रुपये आए हैं। यह 31 मार्च 2020 को ख्त्म हुए वित्तीय वर्ष के आंकड़े हैं। चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीने यानी अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान इस सेक्टर से 4.21 लाख रुपये केंद्र और राज्यों के खज़ाने में आए हैं। 4.21 लाख करोड़ रुपये की यह रकम तब है, जब कोविड-19 की वजह से ईंधन की मांग न्यूनतम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी।