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Published: Sep 29, 2021 01:13 PM IST

Kamagata Maru कामागाटा मारू घटना : इतिहास का एक पन्ना, जहां दो महीने तक 376 यात्रियों को जहाज पर रहना पड़ा था भूखा-प्यासा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली : आज के ही दिन 108 साल पहले भारतीय इतिहास में एक दिल दहलाने देने वाली घटना हुई थी। साल 1914 में ‘कामागाटा मारू’ ये ऐतिहासिक घटना हुई थी जिसने ‘गदर आंदोलन’ खड़ा करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। आपको बता दें कि ‘कामागाटा मारू’ घटना 108 साल पुरानी है। इस घटना से ही ‘गदर आंदोलन’ की शुरुआत हुई। आईए जानते है इस ऐतिहासिक दिन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी….  

108 साल पुरानी ऐतिहासिक घटना 

साल 1914 के अप्रैल महीने में, बाबा गुरदित्त सिंह के नेतृत्व में पंजाब के 376 के साथ जापानी समुद्र जहाज ‘कामागाटा मारू’ हांगकांग से रवाना हुआ था। इस ‘कामागाटा मारू’ समुद्र जहाज में 340 सिख, 12 हिंदू, 24 मुसलमान और बाकी ब्रिटिश थे। जब 23 मई, 1914 को ये जहाज वैंकूवर तट पर पहुंचा तो उसे वही दो महीने तक खड़ा रहना पड़ा था। 

दो महीने एक ही जगह पर खड़ा था ‘कामागाटा मारू’

ये जहांज दो महीने तक एक ही जगह पर खड़ा था, क्यों की कनाडा सरकार ने अलग- अलग ककनउनो का हवाला देकर वहा भारतियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी। इसलिए इन पंजाब के 376 यात्रियों को कनाडा में प्रवेश नहीं दिया गया था। इतनाही नहीं बल्कि कनाडा सरकार के अधिकारियों ने जहाज पर खाना और पानी पहुंचाने पर भी रोक लगा दी थी। 

2 महीने 376 लोग बिना-खाना पानी के रहे  

कनाडा सरकार के क्रूरता की वजह से जहाज के 376 लोग बिना-खाना पानी के 2 महीने तक रहे। इसके बाद सितंबर महीने में ‘कामागाटा मारू’ जहाज मजबूरी में कोलकाता के बजबज पर पहुंचा। काफिला यहां नहीं थमा, वहां 29 सितंबर को पुलिस के साथ झड़प में 19 यात्रिओं की गोली लगने से मौत हो गयी। आपको बता दें कि यह ‘कामागाटा मारू’ घटना को गदर आंदोलन का उदय माना जाता है। 

कनाडा के प्रधानमंत्री ने मांगी माफी 

इस पूरी घटना पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 20 मई, 2016 को माफ़ी मांगी। ये माफी उन्होंने ‘कामागाटा मारू’ घटना के लिए अपने संसद में आधिकारिक रूप से मांगी थी। आपको बता दें की कनाडा में भारतीय मूल के 14 लाख से भी ज्यादा लोग रहते है। लेकिन आजादी के पहले भारतीयों को वहां बसेरा करने की इजाजत नहीं थी।