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Published: Sep 22, 2021 10:45 AM IST

Knowledgeज्ञान की बात : जानें नोट पर क्यों लिखा होता है “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं”, इससे जुड़ीं और भी रोचक बातें

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली : हमारे रोजाना के जीवन में कई ऐसी चीजें होती है, जो की बेहद उपयोग में होती है, लेकिन इसके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती, आज ऐसी ही एक चीज है जिसके बारे में न आपने कभी सोचा होगा और नाही कभी जाना होगा। ‘सबसे बड़ा रुपया’ यह लाइन सबने सुनी है और यही सच भी है। आपके पास रखे 10-20-50 या फिर 100-500 या 2000 के नोटों (Note) को कभी आपने गौर से देखा है ? नहीं ना तो चलिए आज भारतीय करंसी से जुडी कुछ दिलचप्स (Interesting) बाते जानते है….. 

नोटों से जुड़ी दिलचस्प बातें 

आपको बता दें कि भारतीय करेंसी से जुड़ी जानकारियों की भी अपनी एक दिलचस्प दुनिया है। नोटों से जुडी कई दिलचस्प बातें है, जो आम तोर पर किसी को पता नहीं है। नोटों पर लिखी जाने वाली बातें हमें बेहद सामान्य लगती है, पर इस सामान्य सी दिखने वाली बात के पीछे कही रोचक बातें छिपी होती है। जिस पर हम कभी गौर नहीं कर पाते।

 

नोट पर लिखी होती है इतनी भाषाएं 

क्या आप जानते है कि भारतीय करेंसी (Indian Currency) पर कितनी भाषाएं मुड़तरित होती हैं ? नहीं ना जी हम आपको बता रहे है। हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अलावा भी अन्य कई भाषा भी वहां नोटों पर लिखी होती है। आप अपने पर्स में से 10 रुपये की एक नोट निकालें उसे पीछे की और पलटे वहां सफेद भाग से सटी एक पट्टी में आपको 15 अलग-अलग भाषाओं में 10 रुपये लिखा दिखाई देगा। 

नोट को डिजाइन कौन करता है ? 

आप नहीं जानते होंगे की रोजाना जिस पैसे को आप इस्तेमाल करते है उसे कौन डिजाइन करता है। बैंक नोट पर मुद्रित होने वाले रेखाचित्र का निर्धारण कौन करता है यह रोचक आपको बताने वाले है। इस बारे में आरबीआई की वेबसाइट पर बताया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, बैंक नोट की रूपरेखा यानी की नोट की डिजाइन, स्वरूप और सामग्री आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की अनुशंसा पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप तय होती है। 

 “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं” 

दरसल ऐसी किए बाते है जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा, जी हां क्या आपने कभी सोचा हैं नोट पर “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं” ऐसा क्यों लिखा जाता है। नहीं ना तो चलिए आज हम आपको इससे जुड़ी जानकारी देते है। दरअसल भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 के अनुसार, बैंक नोट के मूल्य का भुगतान करने के लिए बैंक उत्तरदायी होता है।

जारीकर्ता होने के कारण, मांग किये जाने पर भारतीयन रिज़र्व बैंक द्वारा देय होता है। “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं” यह वाक्य आरबीआई की तरफ से इस बात की गारंटी है कि 100 रूपये के नोट के लिए धारक को 100 रूपये की देयता है। सरल भाषा में कहां जाएं तो यह एक तरह से नोटों के मूल्य के प्रति आरबीआई का वचन है।