धर्म-अध्यात्म

Published: Oct 13, 2021 01:29 PM IST

Sai Baba Punyatithi 2021जानें साईं बाबा के पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का पूरा शेड्यूल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली : हर साल विजयादशमी यानी दशहरे के दिन साईं बाबा की पुण्यतिथि (Sai Baba Punyatithi) मनाई जाती है। इस साल साईं बाबा की पुण्यतिथि 15 अक्टूबर को है। साईं बाबा की पुण्यतिथि को साईं बाबा महासमाधि दिवस (Shirdi Sai Baba Mahasamadhi Diwas) भी कहा जाता है। आपको बता देने की बाबा के पुण्यतिथि का उत्सव तीन दिन तक मनाया जाता है। आज हम आपको साईं बाबा के पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का पूरा शेड्यूल बताने जा रहे है। आईये जानते है। 

पहला दिन : 14 अक्टूबर 2021

आपको बता दें कि साईं बाबा की पुण्यतिथि मनाने की शुरुआत तिथि के एक दिन पहले से होती है। इसलिए यह कार्यक्रम का आयोजन 14 अक्टूबर 2021 से शुरू होगा। पहले दिन के उत्सव की शुरुआत काकड़ आरती से की जाएगी। इस दिन साईं बाबा की छवि और पोथी का जुलूस निकाला जाएगा।

साथ ही द्वारकामाई में साईं सच्चरित्र का अखंड पारायण किया जाएगा। आरती और कीर्तन के साथ कलाकारों का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उसके बाद रात में साईं बाबा की पालकी शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस पहले दिन द्वारकामाई मंदिर रात भर परायण के लिए खुला रहेगा। 

मुख्य दिवस: 15 अक्टूबर 2021

हम सब जानते है कि बाबा का पुण्यतिथी उत्सव तीन दिन का होता है। तीन दिवसीय उत्सव के मुख्य दिन यानी साईं बाबा के समाधि दिवस पर काकड़ आरती से उत्सव की शुरुआत होगी। अखंड पारायण समाप्ति होगी। साईं बाबा को पवित्र स्नान कराया जाएगा। भजन-कीर्तन और आरती के साथ तीर्थ प्रसाद वितरित किया जाएगा और खंडोबा मंदिर में सीमोल्लंघन और जुलूस निकाला जाएगा।

कलाकारों का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और गांव से होते हुए साईं बाबा का रथ जुलूस निकाला जाएगा। समाधि मंदिर रात भर दर्शन के लिए खुला रहेगा। इस दिन साईं बाबा ने समाधि ली थी इसलिए इसे पुण्यतिथि का मुख्य दिन कहा जाता है। 

आखिरी दिन का उत्सव: 16 अक्टूबर 2021

उत्सव के आखिरी दिन सबसे पहले साईं बाबा का पवित्र स्नान होगा। गुरु स्थान मंदिर में रुद्राभिषेक आयोजित किया जाएगा।  गोपालकाला कीर्तन और दही हांडी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आरती और प्रसाद वितरण किया जाएगा। कलाकारों का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस दिन साईं बाबा के पुण्यतिथी उत्सव का समापन होता है।