धर्म-अध्यात्म

Published: Aug 11, 2021 07:00 AM IST

Hariyali Teejआज है हरियाली तीज व्रत, जानें इसकी मान्यता और पूजा विधि, मुहूर्त

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली : पवित्र सावन का महिना शुरू है। ऐसे में सावन से जुड़े कई महत्वपूर्ण त्यौहार और व्रत आते है और इन्ही मे से एक हरियाली तीज है। सावन के इस पावन महीने में आने वाली हरियाली तीज को बेहद शुभ माना जाता है। हर साल आने वाले सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह त्यौहार मनाया जाता है। यह व्रत इस साल 11 अगस्त यानी की आज मनाया जा रहा है। 

इस व्रत को खासकर महिलाएं अपने पति  के लंबी उम्र के लिए रखती है। इस व्रत के दौरान वे शिव और पार्वती की पूजा अर्चना करती है। तो आज हम हरियाली तीज के पावन अवसर पर इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी आपको दे रहे है  तो चलिए जानते है…. 

हरियाली तीज की मान्यता 

आपको बता दें कि यह सुहागिनों का व्रत होता है और ये व्रत करवा चौथ से भी ज्यादा मुश्किल होता है। इस व्रत में महिलाएं खास कर अपने पति के लंबी आयु के लिए उपवास रखती है। आध्यात्मिक तौर पर कहां जाता है की इस दिन शिव पार्वती की भक्ति करने और व्रत रखने से अखंड सौभाग्यवती का वर प्रदान होता है। इसलिए इस पवित्र सावन के महीने में हर सुहागन हरियाली तीज के दिन व्रत रखकर शिव पार्वती की पूजा आराधना करके यह व्रत मनाती है। इस व्रत को रखने से सुख शांति आती है और पति को निरोगी काया प्रदान होती है। 

 

हरियाली तीज की पूजा सामग्री :

1. सबसे पहले आपको हरियाली पूजा के लिए बेल पत्र लगेंगे।

2. साथ ही घर के मंदिर को लगाने के लिए केले के पत्ते।

3. भगवान शिव को चढ़ाने के लिए धतूरा

4. अंकव पेड़ के पत्ते भी लगेंगे

5. तुलसी के पत्ते

6. शमी के पत्ते

7. काळा रंग की गिल्ली मिट्टी 

8. धागा और भगवान के लिए नए वस्त्र

9. जनेऊ 

हरियाली तीज व्रत पूजन का मुहूर्त 

आपको बता दें कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मंगलवार, 10 अगस्त 2021 को शाम 06.11 से शुरू हुई है और 11 अगस्त 2021 यानी आज बुधवार को शाम 04 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।   

हरियाली तीज पूजा की विधि :

अच्छी और योग्य तरह से पूजा करना है। तो हमें विधिवत पूजा करना चाहिए। आज हम आपको हरियाली तीज की विधिवत पूजा कैसे करे इसके बारे में बता रहे है। 

1. तीज में महिलाएं सुबह से रात तक का व्रत रखती है। आपको बता दें कि इस व्रत में पूजन पूरी रात भर किया जाता है।

2. इस पावन अवसर पर बालू से शिव पार्वती की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है।

3. इस चौके पर मिट्टी में शुद्ध गंगाजल मिलकर उससे शिव पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाई जाती है।

4. जब आप मूर्ति या प्रतिमा बनाते है तब भगवान शिव पार्वती का स्मरण क्र मंत्रो का जाप करें।

5. इस तरह पूजा पाठ करने के बाद महिलाएं रात भर भजन कीर्तन करती है।