नई दिल्ली : इस्लामिक कैलेंडर अनुसार भारत के मुसलमान इस अगस्त के महीने से इस्लामी नव वर्ष 2021 का स्वागत करेंगे। यह नव वर्ष वे इस्लामिक कैलेंडर अनुसार मनाते है जिसे हिजरी कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक आम कैलेंडर की तरह ही होता है जिसमे साल के 12 महीने होते है। इस महीने में आने वाले इस इस्लामी नव वर्ष के बारे में आपको आज महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे है। तो चलिए जानते है इसका इस्लामी अनुसार क्या महत्व है….
आपको बता दें कि इस्मालिक नव वर्ष यह चंद्र प्रणाली पर आधारित है। मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस साल मुहर्रम 10 अगस्त को आया है। मुहर्रम महीने के पहले दिन ही इस्लामिक नया साल आरंभ होता है। यह हिजरी कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए आपको बताते है कि चांद दिखने के आधार पर एक महीना 29 या 30 दिनों का होता है। चालू महीने की 29 तारीख को चन्द्रमा दिखाई देता है वही से नया महीना शुरू होता है। इस्लामी नया साल मुहर्रम महीने के पहले दिन से शुरू होता है। इसी वजह से भारत में 9 अगस्त से इस्लामी नया वर्ष शुरू हुआ है।
इस्मालिक नव वर्ष का महत्व
आपको बता दें की इस्लामिक नव वर्ष को हिजरी वर्ष के नाम से भी जाना जाता है। मुसलमानों के लिये नव वर्ष बेहद खास और महत्वपूर्ण होता है। हिजरी शब्द हिजड़ा से बना है जिसका अर्थ प्रवास होता है। दरअसल इस्लामिक कैलेंडर का प्रारंभिक बिंदु 622 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद का मक्का से मदीना तक का प्रवास है।
आने वाले इस नए साल को हिजरी 1443 के रूप में संदर्भित किया जायेगा। सीए सरल भाषा में बताये जाये तो पैगंबर मोहम्मद के प्रवास को 1443 हो चुके है। इस नए वर्ष का आगमन मुसलमान जश्न मनाकर करते है। जबकि एक विशाल बहुमत उत्सव मनाने से परहेज करता है। और इसके पीछे वजह है की इसकी कोई धार्मिक दिशा नहीं है।