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Published: Dec 30, 2020 11:31 AM IST

नवभारत विशेष35 लाख लोगों की नौकरी गई, बेरोजगारी की ज्वलंत समस्या

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

देश में पहले ही बेरोजगारी (Unemployment) की गंभीर समस्या थी जो कि अब और विकट व अत्यंत चिंताजनक हो गई है. सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे (CMIE Survey) के मुताबिक अक्टूबर महीने में यदि 50,000 लोगों की नौकरियां चली गईं तो नवंबर में तो एकदम ही कहर टूट पड़ा. नवंबर में देश के 35,00,000 लोगों (35 Lakh Jobs Lost) को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके पीछे कोरोना संकट (COVID-19 Epidemic) की वजह से अर्थव्यवस्था में आई भारी गिरावट है. हर तरफ बेरोजगारी का आलम है.

घरों में बर्तन-कपड़ा धोने वाली बाई से लेकर ड्राइवर तक बेरोजगार हुए. कैब बंद होने व आटोरिक्शा पर नियंत्रण से भी बेकारी बढ़ी. प्रवासी मजदूरों की समस्या अलग से है. मांग की कमी की वजह से कारखानों, उद्योगों में प्रोडक्शन रुका और लोगों को नौकरी से हटाया गया. स्टाफ की डाउनसाइजिंग या छंटनी की वजह से लोगों की नौकरी गई. शिक्षा संस्थाओं में भी यही हाल है. जिनकी नौकरी नहीं गई, उनकी वेतन कटौती हुई है. दोनों तिमाहियों में जीडीपी बेरोजगारी की वजह से तेजी से गिर गई. रोजगार व आर्थिक विकास का परस्पर गहरा नाता है.

अभी तक अधिकांश कारपोरेट हाउस में पूरी तरह से कामकाज की शुरुआत नहीं हुई है. वर्क फ्रॉम होम चल रहा है. जब पूरी तरह आफिस खुल जाएंगे तो शायद रोजगार में तेजी आ जाए लेकिन यह कब संभव होगा, इसे लेकर अनिश्चितता व्याप्त है. दिसंबर के प्रथम 3 सप्ताहों में अधिक से अधिक लोगों को नौकरी की तलाश थी. बेरोजगारी की दर 6.5 प्रतिशत से बढ़कर 9.5 प्रतिशत हो गई. उम्मीद की जाती है कि तीसरी तिमाही के अंत तक रोजगार की संख्या लगभग 39.5 करोड़ होगी लेकिन रोजगार का प्रतिशत 2.5 प्रतिशत कम होगा.