आज की खास खबर

Published: Apr 23, 2021 03:11 PM IST

आज की खास खबरअस्पतालों में बेमौत मरते लोग, सरकार नाम की यंत्रणा है भी या नहीं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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महाराष्ट्र में पहले ही वेंटिलेटर युक्त बेड की कमी है. ऐसे समय नाशिक के डा. जाकिर हुसैन अस्पताल में आक्सीजन टैंक में रिसाव की वजह से प्राणवायु का प्रवाह खंडित हुआ और 25 मरीजों की मौत हो गई. यह घटना न केवल अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, बल्कि शासन व्यवस्था के लिए कलंक है. तकनीकी स्टाफ द्वारा समय-समय पर मेंटनेंस न करने से ऐसा हुआ. अस्पताल के ऑक्सीजन भंडारण टैंक की टोटी या नोजल खराब हो गई थी. उसे सुधारते समय वह पूरी तरह टूट गई और ऑक्सीजन का तेजी से रिसाव शुरू हो गया. 

टोटी या सॉकेट बदलने में लगभग 2 घंटे लगे. इतनी देर में सारी ऑक्सीजन निकल गई. ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से मरीज दम घुटने से मर गए. इस दुर्घटना की जांच से पता चलेगा कि ऐसी आपराधिक लापरवाही क्यों हुई? इसमें मानवीय भूल है या तकनीकी खामी? जिन कोरोना पीड़ितों के परिजन आस लगाए बैठे थे कि अस्पताल में इलाज से वे भले-चंगे हो जाएंगे, उन मरीजों ने ऑक्सीजन के अभाव में तड़फड़ाकर दम तोड़ दिया. हमारे देश में इंसानी जिदंगी की क्या कोई कीमत नहीं है? जांच के बाद एक-दो लोगों पर उंगलियां रख दी जाएंगी, लेकिन इस जर्जर लापरवाह स्थिति के लिए सिस्टम के ऊपरी लोग भी दोषी हैं.

अधिकारियों को सख्त एक्शन का भय हो

इतनी घटनाओं के बाद भी सरकार का नियंत्रण नजर नहीं आता. यदि अधिकारियों को सख्त एक्शन का भय हो तो वे व्यवस्था को सही रखेंगे. ऑक्सीजन टैंक या प्लांट की देखरेख के लिए जो टेक्निकल सपोर्ट जरूरी होता है, वह अस्पताल में उपलब्ध नहीं था. क्या यह काम डाक्टरों व अन्य स्टाफ के भरोसे छोड़ा गया जो तकनीक से वाकिफ नहीं हैं? इसके पहले भी भंडारा, मुंबई व नागपुर के अस्पतालों में लापरवाही की वजह से हुए हादसों में कितने ही लोग जान गंवा चुके हैं. कहीं शार्टसर्किट से नवजात शिशु दम तोड़ते हैं तो कहीं ऑक्सीजन के अभाव में सांसें रुक जाती हैं. आरोप है कि जिस अस्पताल में हादसा हुआ, वह नाशिक मनपा के तहत आता है जहां बीजेपी की सत्ता है.

व्यवस्था चाकचौबंद की जाए

इसके अलावा और भी कई बातें गौर करने लायक हैं. ऑक्सीजन अत्यंत उच्च दबाव में द्रव रूप में टैंकर में ले जाई जाती है. टैंकर की स्पीड लिमिट 40 किमी प्रति घंटा  निर्धारित है तथा रात में टैंकर नहीं चलाए जाते. पुणे, मुंबई व तलोजा में ऑक्सीजन तैयार होती है. ऐसे में समय पर अस्पतालों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण है. ट्रेन से भी टैंकर पहुंचाए जा सकते हैं. अब समय न बरबाद करते हुए सरकार सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया कराने में तत्परता दिखाए. तकनीकी जानकार भी इसमें सहयोग दें क्योंकि एम्बुलेंस, वेंटिलेटर सभी को दुरुस्त रखना जरूरी है. 

इस समय हर कोई चिंतित है कि जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन मिलेगी या नहीं. यह अनुमान तत्काल लगाया जाना चाहिए कि ऑक्सीजन की कितनी जरूरत है और उसमें कब कमी पड़ सकती है. व्यवस्था जुटाना सरकार का दायित्व है. इंसानी सांसों का प्रवाह जारी रखना हमारे सिस्टम की जिम्मेदारी है. ऐसे हादसे पूरी गंभीरता से लिए जाएं और उनकी पुनरावृत्ति हर कीमत पर रोकी जाए.