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Published: Mar 08, 2021 11:43 AM IST

नवभारत विशेषOBC आरक्षण रद्द होने से पहले राज्य में पुन: जिप-पंस चुनाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

आरक्षण 50 फीसदी (Reservation) से ज्यादा हो जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 6 जिला परिषदों व ग्रामपंचायत के चुनावों में ओबीसी सीटों (OBC) के लिए चुनाव रद्द करने व नए चुनाव कराने का आदेश दिया. इस वजह से राज्य चुनाव आयोग ने नागपुर, धुले, नंदूरबार, पालघर, अकोला व वाशिम के जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुल 74 सीटों का चुनाव रद्द हुआ. इनमें नागपुर जिला परिषद की 16, अकोला की 14, धुले की 15, वाशिम की 14 व पालघर की 15 सीटें रद्द हुईं. यहां अब नए सिरे से चुनाव होंगे. इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा क्योंकि रद्द किए गए 16 निर्वाचन क्षेत्रों में से 7 में कांग्रेस(Congress) प्रत्याशी चुने गए थे. एनसीपी( (NCP) व बीजेपी (BJP) के भी 4-4 सदस्यों का चुनाव रद्द हुआ है. कई सदस्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में हैं.

विभिन्न आरक्षणों की मांग में फंसी सरकार

महाराष्ट्र की राजनीति में आरक्षण की अहम भूमिका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को झटका लग सकता है कि महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए आरक्षण एससी, एसटी एवं ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता. महाराष्ट्र सरकार अभी सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण को बचाने के लिए संघर्ष कर ही रही थी कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आ गया जो ओबीसी आरक्षण को बड़ा झटका दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की जो सीमा बांधी है उससे ओबीसी ही नहीं, मराठा समुदाय में भी खलबली मच सकती है जिसने कि आरक्षण की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े मूक मोर्चे निकाले थे.

फडणवीस ने चिंता जताई

विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis)ने राज्य सरकार पर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को नजरअंदाज करने और ओबीसी की आबादी का सही आंकड़ा एकत्र करने के लिए समिति का गठन नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार कोरोना महामारी का हवाला देकर एक पुनर्विचार याचिका दायर करें और शीघ्रताशीघ्र एक ओबीसी आयोग का गठन करें. फडणवीस ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को बचाने के लिए वे सरकार को हरसंभव सहयोग करने को तैयार हैं.

अजीत पवार का आश्वासन

उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) ने अपने जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर्फ धुले, नंदूरबार, नागपुर, अकोला, वाशिम, भंडारा, गोंदिया जिलों के स्थानीय निकायों के संबंध में है. किंतु यदि विपक्ष के नेता फडणवीस कहते हैं कि इससे समूचा राज्य प्रभावित हो सकता है तो हमें इसका समाधान तलाशना होगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि ओबीसी आरक्षण बना रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति कानून 1961 के भाग 12 (2) (सी) की व्याख्या करते हुए ओबीसी के लिए संबंधित स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण प्रदान करने की सीमा से संबंधित राज्य चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2018 व 2020 में जारी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया है.

मराठा आरक्षण का मुद्दा

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष व विधायक चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) से केंद्र सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. इस पर एतराज जताते हुए सार्वजनिक निर्माण मंत्री व मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि बीजेपी को केंद्र की जिम्मेदारी से इनकार कर मराठा समुदाय को गुमराह नहीं करना चाहिए. अगर केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण के मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के सर्वोच्च कानूनी अधिकारी अटार्नी जनरल को नोटिस क्यों जारी किया था? राज्य में जब बीजेपी की सरकार थी तब सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व परमजीत पटवालिया द्वारा बुलाई गई बैठक में देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए थे.