संपादकीय

Published: Jan 06, 2021 10:50 AM IST

संपादकीयविदर्भ विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का यह कथन महत्वपूर्ण है कि विदर्भ उनके हृदय में है तथा यह नाता और भी गहरा हो गया है. वे विदर्भ (Vidarbha)से अन्याय नहीं होने देंगे. विदर्भ के प्रश्न केवल शीत सत्र तक सीमित नहीं रहेंगे, उसे सदैव न्याय मिलेगा. महाविकास आघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Government)  इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. इन शब्दों से मुख्यमंत्री ने विदर्भ के प्रति जो अपनत्व जाहिर किया है, उसे कार्य रूप में परिणत कर दिखाएं तो बहुत अच्छा होगा. स्मरणीय है कि शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने भी एक समय कहा था कि यदि विदर्भ का विकास नहीं हुआ तो उसके लिए आंदोलन करने में मैं सबसे आगे रहूंगा. इतने पर भी शिक्षा, उद्योग, रोजगार, कृषि, सिंचाई सभी क्षेत्रों में विदर्भ का पिछड़ापन या बैकलॉग बढ़ता ही चला गया.

यह बैकलॉग एक लाख करोड़ को भी पार कर गया. आश्वासन तो महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण (Yashwantrao Chavan)ने भी दिया था कि विदर्भ को विकास में झुकता माप दिया जाएगा परंतु वैसा कभी हुआ नहीं. विदर्भ के उद्योगधंधों और कपड़ा मिलों को बंद होना पड़ा. नागपुर की एम्प्रेस मिल और मॉडेल मिल बंद हुई. अचलपुर की विदर्भ मिल बंद हुई. अकोला व पुलगांव की मिलों की भी यही हालत हुई. बुटीबोरी व एमआईडीसी में उद्योगों की तादाद नहीं बढ़ पाई. यद्यपि गोंदिया, वाशिम और गड़चिरोली जैसे 3 नए जिले बनाए गए लेकिन इतनी बड़ी अचलपुर तहसील को अब तक जिला नहीं बनाया गया. विदर्भ में बिजली की दरें पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)की तुलना में काफी अधिक हैं, इसलिए यहां उद्योग लगातार बंद होते चले गए और एक भी नया उद्योग स्थापित नहीं हुआ. यह सही है कि नागपुर में एम्स, नेशनल लॉ स्कूल, मेट्रो ट्रेन वगैरह लाए गए लेकिन विदर्भ के शेष जिलों को क्या मिला? विदर्भ में नदियां तो हैं मगर सिंचाई की व्यवस्था बहुत कम है. यही कारण है कि पश्चिम महाराष्ट्र का डेढ़ एकड़ खेती करने वाला किसान सिंचाई व्यवस्था की वजह से वर्ष में 3 फसलें लेता है जबकि विदर्भ का 5 एकड़ जमीन वाला किसान वर्षा पर निर्भर रहने व कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने को मजबूर है.

विदर्भ का कपास कभी इंग्लैंड की मैंचेस्टर और लिवरपूल की मिलों के लिए जाता था. आज कपास उत्पादक किसान भी असहाय होकर रह गया है. यह अच्छी बात है कि अब नागपुर के विधानभवन (Vidhan Bhavan) में स्थायी रूप से विधान मंडल सचिवालय का कक्ष शुरू कर दिया गया है जिससे विदर्भवासियों को हर दिन सरकार उपलब्ध रहेगी. अनेक विधिमंडल समितियों की बैठक नागपुर में होगी. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले की यह घोषणा भी महत्वपूर्ण है कि विधान मंडल का बजट सत्र नागपुर में होगा.