संपादकीय

Published: Nov 25, 2020 09:38 AM IST

संपादकीय कोरोना संकट के बीच अब आक्सफोर्ड वैक्सीन से उम्मीद

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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भारत में कोरोना (Coronavirus) संक्रमित लोगों की तादाद 92,00,000 को पार कर चुकी है और 1.35 लाख से ज्यादा लोग इससे जान गंवा चुके हैं. दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल और गोवा कोरोना के नए हॉट स्पॉट हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट् (Maharashtra), दिल्ली, गुजरात व असम की सरकारों से 2 दिनों में शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा है कि उन्होंने कोविड-19 के वर्तमान हालात से निपटने के लिए क्या उपाय किए हैं. इस संकट के दौर में यह अच्छी खबर है कि अगले वर्ष देश में व्यापक टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो सकती है.

आक्सफोर्ड वैक्सीन (Oxford) 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है और इस वर्ष के अंत तक इसे भारत में मंजूरी मिल सकती है. यह वैक्सीन बिना लक्षण वाले संक्रमण मामलों में वायरस के प्रसार को कम कर सकती है. इसकी एक डोज सरकारी अस्पतालों में 220 से 230 रुपए में तथा निजी अस्पतालों में 500 से 600 रुपए की पड़ेगी. ऐसा माना जाता है कि पहले डाक्टरों, स्वच्छता कर्मियों आदि कोरोना वारियर को वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जाएगी. सीएम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला के अनुसार एक माह के भीतर एस्ट्राजेने का आक्सफोर्ड वैक्सीन के लिए इमरजेंसी लाइसेंस मिल जाएगा. यह वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस (सामान्य फ्रिज के तापमान) पर भेजी व रखी जा सकेगी. इस वजह से भारत जैसे गर्म देश में कहीं भी ले जाई जा सकेगी. अन्य 2 वैक्सीन के साथ यह बात नहीं है जिन्हें शून्य में भी बहुत नीचे के तापमान पर रखना पड़ता है. एस्ट्रोजेने का आक्सफोर्ड वैक्सीन की 2 डोज देनी पड़ेगी.

यह फाइजर की 1500 रुपए तथा माडर्न की 2,775 रुपए वाली वैक्सीन से सस्ती है. वैक्सीन आने के तुरंत बाद उसके तत्काल प्रबंधन के लिए अग्रणी कार्यकर्ताओं का डाटा बेस, कोल्ड चेन का विकास, सीरीज आदि की खरीद में सक्रियता बरती जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के अनुसार वेक्सीन का अंतिम परिक्षण एक डेढ़ महीने में पूरा कर लिया जाएगा. भारत जैसे दुनिया में दूसरे सबसे अधिक संक्रमण वाले देश में तेजी से टीकाकरण की उम्मीद बढ़ गई है. तीसरे चरण के परिक्षण में 26,000 स्वयं सेवक भाग ले रहे हैं. यह भी देखनाहोगा कि जो वैक्सीन बुजुर्गों केलिए सबसे अच्छा काम करती है, वह छोटे बच्चों के लिए कितनी उपयोगी है तथा इसका साइड इफेक्ट कितना है.