निशानेबाज़

Published: Dec 16, 2020 10:46 AM IST

निशानेबाज़2 करोड़ ई-मेल याद दिलाते PM के सिखों से अटूट रिश्ते-नाते

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज ( Nishanebaaz), आपको इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (Indian Railway Catering and Tourism Corporation) (IRCTC) का ई-मेल मिला या नहीं? चेक करके देखिए. उसने 8 से 12 दिसंबर के बीच अपने पूरे डाटाबेस को 2 करोड़ ई-मेल भेजे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘ये ई-मेल क्या तालमेल और मेल-मिलाप बढ़ाने के लिए भेजे गए हैं? इनका कुछ उद्देश्य तो जरूर होगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘ऐसा ही समझ लीजिए निशानेबाज. इसमें 47 पन्नों की पुस्तिका भेजी गई है जिसके मुख पृष्ठ पर पगड़ी पहने हुए प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) एक सरदारजी के साथ खड़े हैं.

पुस्तक का शीर्षक है- प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का सिख समुदाय के साथ अटूट संबंध!’’ हमने कहा, ‘‘ऐसा कहिए न कि यह रिश्ते-नाते बताने वाली किताब है जिसे किसान आंदोलन के बीच जारी किया गया है. पंजाब के आंदोलनकारी सिख किसानों को रिश्तों की दुहाई देते हुए बताया जा रहा है कि तेरे मेरे बीच में, कैसा है ये बंधन अनजाना, तूने नहीं जाना, मैंने नहीं जाना!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘आपने बिल्कुल ठीक पहचाना निशानेबाज! आपको याद होगा कि गुरुनानक जयंती पर उनके प्रति प्रधानमंत्री ने श्रद्धासुमन अर्पित किए थे. उन्होंने अपने संबोधन में गुरुनानक के अमृत वचन का उल्लेख भी किया था. प्रधानमंत्री भावनात्मक रूप से सिख किसानों से नाता जोड़ रहे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘यदि इतना ही प्रेम है तो प्रधानमंत्री हड़ताली किसानों की बात मानकर 3 किसान कानून वापस ले लें. यही तो किसानों की मांग है. वे ऐसा करें तो किसान खुश होकर दलेर मेंहदी वाला गीत गाने लगेंगे- हो गई है बल्ले-बल्ले, हो जाएगी बल्ले-बल्ले. पीएम चाहें तो एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून भी बना सकते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, संसद में पारित कानून और कमान से छूटे तीर कभी वापस नहीं आया करते. प्रधानमंत्री से अटूट संबंध कायम रखना है तो किसान अपनी जिद छोड़ दें और मन में सरकार के इरादों के प्रति कोई शंका न रखें. हर सिख किसान के दिल में यह आवाज गूंजनी चाहिए- इन कसमों को इन रसमों को, इन रिश्ते-नातों को, मैं ना भूलूंगा!’’ हमने कहा, ‘‘किसान सरकार की बात मानेंगे तो उनके अनिल अंबानी और गौतम अदानी से भी संबंध जुड़ जाएंगे. ये उद्योगपति सीधे उनकी फसलें खरीदेंगे, कांट्रैक्ट फार्मिंग कराएंगे. देश में कारपोरेट का प्रवेश खेती-किसानी में भी हो जाएगा. उनके गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और खरीदी चेन होगी. दोनों उद्योग घरानों में कुछ महीनों के भीतर 53 एग्री कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया है. मोदी ने उन्हीं के दम पर किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था. इसलिए रिश्ते-नातों का तकाजा है कि आंदोलनकारी सिख किसान मोदी की बात मान जाएं.’’