मुंबई

Published: Oct 31, 2020 09:45 PM IST

परेशानीGST : छूट अवधि की पैनाल्टी क्यों?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण ऐसे बहुत से छोटे कारोबारी, जिनका कारोबार लगभग ठप है या बहुत कम है, जीएसटी रिटर्न 30 सितंबर 2020 तक नहीं भर पाए थे, लेकिन अब उन्हें नोटिस प्राप्त हो रहे हैं और रिटर्न भरने पर पैनाल्टी मार्च 2020 से ही लगाई जा रही है. यानी सितंबर के बाद से नहीं, बल्कि टैक्स फाइलिंग की ड्यू डेट से ही वसूली जा रही है. इससे सबसे ज्यादा परेशान और हैरान छोटे कारोबारी हैं.

उनका कहना है कि जब सरकार ने 30 सितंबर 2020 तक छूट दी है तो फिर छूट अवधि (मार्च से अगस्त तक 6 महिनों) की पूरी पैनाल्टी क्यों वसूली जा रही है. 30 सितंबर के बाद के जितने दिन होते हैं, उतने दिनों की ही पैनाल्टी लगाई जानी चाहिए. पैनाल्टी 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लगाई जा रही है.   

मार्च से अगस्त तक की लगी पूरी पैनाल्टी

मुंबई में बोरिवली निवासी एक छोटा कारोबारी, जिसका कंसल्टिंग बिजनेस मार्च के बाद से सिंतबर तक लगभग ना के बराबर था, जब वह पैसे का जुगाड़ कर 30 अक्टूबर को अपना रिटर्न भरने गया तो उसे छूट अवधि यानी एक मार्च से लेकर 31 अगस्त तक का 50 रुपए रोजाना के हिसाब से 15,000 रुपए पैनाल्टी भी भरनी पड़ी. इस पर कारोबारी हैरान रह गया. वह समझ रहा था कि उसे केवल सितंबर के बाद 30 दिनों की ही पैनाल्टी देनी होगी. उसका कहना है कि यह सरकार की वादाखिलाफी है. जब पूरी पैनाल्टी ही लगानी थी तो छूट देने का क्या मतलब रहा?

तकनीकी समस्या का भुगतना पड़ा खामियाजा

ठाणे का एक दूसरा छोटा कारोबारी, जिसका इवेन्ट वेंडर बिजनेस, महामारी में बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वह तो अपनी दो फर्मों का रिटर्न 30 सितंबर को ही भरने गया, लेकिन तकनीकी समस्या के कारण जीएसटी साइट पर रिटर्न अपलोड नहीं हो पाए थे और फिर उसकी बीमारी के कारण 5 अक्टूबर को भरे गए. लेकिन तब उसे मार्च से लेकर अगस्त तक 6 महिनों की पैनाल्टी 23,000 रुपए भी भरनी पड़ी. अर्थात उसे उस तकनीकी समस्या का खामियाजा 23 हजार रुपए भरना पड़ा, जो उसके नियंत्रण में नहीं थी. इस कारोबारी का कहना है कि कोरोना में केंद्र और राज्य सरकार से हम छोटे कारोबारियों को कोई मदद तो मिली नहीं, ऊपर से पूरी पैनाल्टी ली जा रही है, जो हमारे लिए दोहरी मार है.

12 लाख का टैक्स तो भरा, परंतु नहीं आया पेमेंट

एक कारोबारी, जो जुलाई 2017 से जबसे जीएसटी लागू हुआ है, तबसे अब तक वह 12 लाख रुपए का टैक्स जीएसटी के रूप में भर चुका है, लेकिन कई बड़ी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों ने उससे सेवा और बिल लेने के बावजूद करीब 75 लाख रुपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. यानी जो पेमेंट आया ही नहीं, उस पर भी वह 12 लाख रुपए टैक्स दे चुका है. इस कारण वह आर्थिक संकट मे फंसता जा रहा है. इस कारोबारी का कहना है कि जो बड़ी कंपनियां सर्विस और जीएसटी बिल लेने के बाद भी भुगतान नहीं करती है, उनके लिए सरकार को सख्त गाइडलाइन बनानी चाहिए, जिससे कि छोटे कारोबारियों का सरंक्षण हो सके.

महामारी कायम, पर अधिकारी एक्टिव

एक सीए का कहना है कि भले ही आम आदमी के लिए लोकल ट्रेन सेवा बंद है, लॉकडाउन जारी है. सरकार भी कह रही है कि कोरोना के खतरे के चलते जरूरत होने पर ही बाहर निकले, लेकिन जीएसटी अधिकारी पूरी तरह एक्टिव हो गए हैं. जिन कारोबारियों ने 30 सितंबर तक रिटर्न नहीं भरे हैं, उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं. जिन कारोबारियों के जून 2017 से पुराने ‘वैट’ एक्ट के तहत बिक्री कर के एसेसमेंट पेंडिंग हैं, उन्हें भी नोटिस दिए जा रहे हैं. छूट अवधि की भी पैनाल्टी ली जा रही है.  

‘सरकार ने कोई वादाखिलाफी नहीं की’

इस संबंध में जब एक वरि‍ष्ठ जीएसटी अधिकारी से संपर्क किया गया तो उसने कहा कि सरकार ने कोई वादाखिलाफी नहीं की है. महामारी के कारण सरकार ने तो 6 महिनों का भरपूर समय देते हुए पहले ही कहा था कि जो कारोबारी 30 सितंबर तक टैक्स रिटर्न भर देगा, उस पर कोई पैनाल्टी नहीं लगेगी और जो 30 सितंबर के बाद भरेगा, उसे शुरूआत से पैनाल्टी देनी होगी. लेकिन छोटे कारोबारियों में जागरूकता की काफी कमी है. इसलिए उन्होंने इसका मतलब यह निकाल लिया कि छूट अवधि के दिनों की पैनाल्टी नहीं लगेगी. इसी कारण उन्होंने रिटर्न भरने में और देरी की. हमे कई शिकायतें मिली हैं. इस संबंध में सरकार जल्द ही स्थिति स्पष्ट करेगी.