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Published: Sep 23, 2020 10:15 PM IST

लक्ष्मी विलास पैलेस मामलाराजस्थान उच्च न्यायालय ने अरुण शौरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पर लगाई रोक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने उदयपुर (Udaypur) में एक होटल की बिक्री (Hotel sell) से सरकारी खजाने (Government treasury) को कथित तौर पर 244 करोड़ रुपये के नुकसान संबंधी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी (Arun shoury) तथा एक अन्य के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट (Arrest Warrant) पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत (Court) ने शौरी को मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्टूबर से पहले किसी भी दिन व्यक्तिगत रूप से निचली अदालत के समक्ष पेश होकर दो लाख रुपये का निजी मुचलका और एक-एक लाख रुपये की दो जमानत राशि अदा करने को कहा। होटल का मूल्यांकन करने वाले कांतिलाल विकाम्से से भी यही काम करने को कहा गया।

सीबीआई ने बुधवार को उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि उसकी तरफ से कोई अनियमितता नहीं बरती गई। केंद्रीय एजेंसी पूर्व में अपने द्वारा दायर समापन रिपोर्ट को उचित ठहरा रही थी। केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि सीबीआई अदालत का आदेश कानून के अनुरूप नहीं है। पिछले हफ्ते एक विशेष अदालत ने सीबीआई से कहा था कि वह शौरी और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के भारत पर्यटन विकास निगम के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को दो दशक पहले एक निजी कंपनी को बेचने को लेकर मामला दर्ज करे।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के दौरान शौरी के विनिवेश मंत्री रहते हुए यह संपत्ति भारत होटल्स लिमिटेड को 7.52 करोड़ रुपये में बेची गई थी। सीबीआई द्वारा की गई शुरुआती जांच में संपत्ति की कीमत करीब 252 करोड़ रुपये आंकी गई थी और सरकारी खजाने को 244 करोड़ रुपये के नुकसान के संकेत दिए गए थे। शौरी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप शाह और प्रशांत भूषण ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि न ही ऐसी स्थिति है और न ही जरूरत कि आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट के जरिए तलब किया जाए तथा सीबीआई अदालत का यह आदेश सही नहीं है।

शौरी ने अपनी उम्र, खराब स्वास्थ्य और पारिवारिक स्थितियों का उल्लेख करते हुए सीबीआई अदालत में मुचलका और जमानत राशि व्यक्तिगत रूप से जमा करने से छूट मांगी। वकीलों की दलील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने शौरी और कांतिलाल विकाम्से के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील कर दिया। अदालत ने हालांकि दोनों से 15 अक्टूबर तक किसी भी दिन अदालत में पेश होकर निजी मुचलका और जमानत राशि भरने को कहा। इसके साथ ही अदालत ने मामले के सभी पांचों आरोपियों को सीबीआई अदालत के 15 अगस्त गिरफ्तारी आदेश से राहत दे दी।

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल और दो अन्य- लजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष गुहा और भारत होल्टस लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी- की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी थी। गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआई अदालत के फैसले को “गैर न्यायोचित” करार दिया। (एजेंसी)