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Published: Sep 14, 2021 07:31 PM IST

Fish Productionमछली उत्पादन में नवीनतम तकनीकी सहायता की है जरूरत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

ओमप्रकाश मिश्र 

रांची. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) पर राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation) द्वारा मंगलवार (Tuesday) को नगर भवन (Nagar Bhawan), हजारीबाग (Hazaribagh )में एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।  इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशक एन.सी.डी.सी ने बताया कि एन.सी.डी.सी का प्रमुख कार्य सहकारी क्षेत्र हेतु शीर्ष वित्तीय और विकासात्मक संस्थान के रूप में कार्यरत एक मात्र संवैधानिक संगठन है। यह कृषि एवं संबंध क्षेत्रों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सहकारिता को सहयोग करता है।

इस कार्यक्रम में प्रबंध निदेशक झास्कोफिश के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मत्स्य क्षेत्र की नई योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्रारंभ की गई है | इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि उक्त योजना का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक अभिवृद्धि मात्स्यिकी प्रबंधन हेतु नवीनतम तकनीकी सहायता एवं आवश्यक आधार रूप संरचनाओं का विकास, आधुनिकरण एवं सुदृढिकरण हेतु सहायता उपलब्ध कराया जाना है।

55 लाभार्थियों का चयन

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में भारत सरकार का अंशदान, राज्य सरकार का अंशदान एवं लाभुक का अंशदान निहित है, जिसमें अनुसुचित जाति, अनुसुचित जन जाति एवं सभी वर्गो के महिला के लिए सरकारी सहायता ईकाई लागत का कुल 60 प्रतिशत एवं अन्य कोटि के लाभुक के लिए ईकाई लागत का 40 प्रतिशत देय है। उक्त योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में हजारीबाग जिले में  16 योजनाओं के अंतर्गत कुल 55 लाभुकों का चयन किया गया है। हजारीबाग जिले के अंतर्गत  17 जलाशय है, जिसका कुल जलक्षेत्र 5139 है और उक्त जलाशयों में  390 केज बैट्री का अधिष्ठापन विभागीय / श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन एवं विशेष केंद्रीय सहायता योजना के अंतर्गत किया गया है। 

क्रय एवं विक्रय किया जा सकेगा

निर्मित केजों में स्थानीय लोगों के द्वारा सघन मत्स्य पालन का कार्य किया जा रहा है। निदेशक मत्स्य ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत फिश र्फामर प्रोसेसर आर्गेनाइजेशन बनाया जाना है। उन्होंने बताया इसके अंतर्गत एफ.एफ.पी.ओ. को अन्य योजनाओं के लाभ के साथ-साथ मत्स्य उत्पादकों द्वारा संगठित तरीके से क्रय एवं विक्रय किया जा सकेगा। हजारीबाग उप विकास आयुक्त, द्वारा उपस्थित मत्स्य पालकों को संबोधन के क्रम में बताया गया कि हजारीबाग जिले के मत्स्य कृषक के केजों और तालाबों में सघन मत्स्य पालन का कार्य किया जा रहा है, जिससे हजारीबाग जिला मत्स्य पालन/उत्पादन में आत्म निर्भर और कृषकों के आय में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।

80 से 90 मत्स्य कृषक उपस्थित हुये

कार्यक्रम में हजारीबाग एवं कोडरमा जिले के लगभग 80 से 90 मत्स्य कृषक उपस्थित हुये । प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षित लाभुकों में काफी उत्साह देखा गया। कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से उप विकास आयुक्त, हजारीबाग, निदेषक मत्स्य, झारखंड, रांची , एम.डी झास्कोफिश-सह-संयुक्त मत्स्य निदेशक, मत्स्य निदेशालय, झारखंड, रांची, क्षेत्रीय निदेशक एन.सी.डी.सी, आर.टी.सी, रांची, जिला मत्स्य पदाधिकारी, हजारीबाग एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी, कोडरमा के द्वारा किया गया।