उत्तर प्रदेश

Published: May 27, 2021 09:12 PM IST

Politics Updateयूपी में सीएम और राज्यपाल की करीब एक घण्टे हुई मुलाकात, सियासी सरगर्मी बढ़ी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

राजेश मिश्र

लखनऊ: रविवार को दिल्ली में संघ (RSS) और भाजपा (BJP) के शीर्ष नेतृत्व की संपन्न बैठक के बाद सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosbole) के लखनऊ (Lucknow) से वापस दिल्ली लौटने के अगले दिन गुरूवार को लखनऊ में सियासी पारा अचानक चढ़ गया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Governor Anandi Ben Patel) के मध्य प्रदेश दौरे और सीएम योगी (CM Yogi) के विभिन्न मंडलों से दौरे के बाद शाम 7 बजे दोनों की मुलाक़ात हुई। लगभग एक घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद राजनीतिक फेरबदल या उलटफेर के कयास शुरू हो गए हैं।

हालांकि सरकार द्वारा इसे शिष्टाचार भेंट बताया गया।  इस राजनीतिक गहमागहमी को बंगाल चुनाव परिणाम, कोरोना संक्रमण से निपटने के तरीकों पर उठे सवालों और यूपी के पंचायत चुनावों में भाजपा की नाकामी के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ भाजपा और खासकर पीएम मोदी की छवि के लगातार कुंद होने से बचाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। 

मुलाक़ात के कई मायने 

सियासत के जानकारों का कहना है कि लगातार बदल रहे राजनीतिक समीकरणों के बीच हो रही इस मुलाक़ात के कई मायने हैं और उत्तर प्रदेश की सियासत में किसी बड़ी सियासी सर्जरी से इंकार नहीं किया जा सकता है। खबरों के मुताबिक़, इस दृष्टिकोण से 28 और 29 मई की तिथि को काफी अहम माना जा रहा है। इस बीच में योगी अपना दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार भी कर सकते हैं और पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले एमएलसी एके शर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल कर चल रही अटकलों को विराम भी दे सकते हैं।

 कैबिनेट में नए लोगों को मिल सकता है मौका

फिलहाल सूबे में कैबिनेट मंत्रियों की अधिकतम संख्या 60 हो सकती है और अभी योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 6 मंत्री पद अभी भी खाली है। ऐसे में चुनावी साल होने के चलते योगी सरकार अपने कैबिनेट में कुछ नए लोगों को शामिल कर और कुछ को बदलकर असंतुष्टों को संतुष्ट करने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा मंत्रिमंडल से हटाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण चेहरों को संगठन में स्थान दिए जाने की चर्चा है। सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा में अन्य दल से आये नेताओं के चलते संघ के प्रति समर्पित नेताओं में कमी आने के कारण आरएसएस का भाजपा पर वह कठोर नियंत्रण नहीं रह गया है जोकि अटल-आडवाणी के जमाने तक हुआ करता था। आज बीजेपी को मोदी और शाह की भाजपा से नवाजा जाने लगा है। जिस राम मंदिर के मुद्दे को आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद ने गर्म किया और भाजपा अस्तित्व में आई वहीं राममंदिर मुद्दा मंदिर निर्माण तक मोदी के इर्द गिर्द घूमता दिखा और विश्व हिन्दू परिषद् करीब करीब सीन से गायब ही रहा।     

होसबोले ने सियासी नब्ज टटोली

सूत्रों के मुताबिक़, होसबोले अपने इस दौरे में संघ के पदाधिकारियों के अलावा कुछ व्यक्तिगत संपर्कों के जरिये राजधानी की सियासी नब्ज जरूर टटोली और कुछ लोगों से फोन पर बात भी किया, लेकिन सरकार और भाजपा के प्रदेश संगठन से पर्याप्त दूरी बनाई रखी। इस दौरान होसबोले संघ व उससे जुड़े संगठनों की भावी कार्ययोजना पर चर्चा करके कामकाज का फीडबैक लिया और कोरोना प्रबंधन के साथ ही पंचायत चुनाव के बारे में भी जानकारी लिया। इसके अलावा उन्होंने संघ के जिले के पदाधिकारियों से फोन पर चर्चा कर जानकारी हासिल कर चले गए।