निराशा- रोजगार क्षेत्र में नहीं हो सका बूम- उद्योगों की भरमार, बेरोजगारी बरकरार

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  • सफेद हाथी बना टेक्सटाइल पार्क

पिछली सरकार में उद्योग मंत्री रहे सुभाष देसाई के पास महाविकास आघाड़ी सरकार में भी यही मंत्रालय हैं. उन्होंने कम से कम इस बात की समीक्षा करनी चाहिए कि टेक्सटाइल पार्क में अपनी इकाईयां स्थापित करने के पहले सैकड़ों की संख्या में रोजगार के अवसर का दावा करने वाली कंपनियों में कितने स्थानीयों को नौकरी मिल पाई. कितने पूरक उद्योगों का सृजन हो पाया. कपास उत्पादक किसानों को टेक्सटाइल पार्क से क्या लाभ मिला.

अमरावती. नांदगांव पेठ अतिरिक्त एमआयडीसी में कागजी तौर पर  टेक्सटाइल उद्योगों की भले ही भरमार हो गई है, लेकिन प्रत्यक्ष में 5 वर्ष बाद भी इन उद्योगों से ना ही बेरोजगारों को राहत मिली है और ना ही पूरक उद्योगों का सृजन हो पाया है. जिसके कारण सफेद हाथी बने टेक्सटाइल पार्क से अब शहर समेत जिले के बेरोजगारों का मोहभंग हो गया है. जबकि टेक्सटाइल पार्क में उद्योग स्थापित होने से पहले बड़ी-बड़ी कंपनियों में रोजगार क्षेत्र में बूम होने का दावा किया जा रहा था. कपास को नया मार्केट उपलब्ध करने को लेकर भी किसानों को निराशा ही हाथ लगी.   

542 में से 480 भूखंड आवंटित

महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल द्वारा अमरावती-नागपुर महामार्ग पर कुल 2809.78 हेक्टेयर जमीन पर नांदगांव पेठ पंचतारिका एमआयडीसी स्थापित की गई है. इस एमआईडीसी के कुल 542 औद्योगिक भुखंडों में से 480 भूखंड वितरित किए जा चुके है. उद्योजकों द्वारा उद्योग इकाइयां स्थापित करने के लिये इस जमीन पर कब्जा जमाया जा चुका है.

लेकिन इसके बावजूद इस एमआयडीसी से ना ही बेरोजगारों को राहत मिल रही है. और ना ही उत्पादित माल मार्केट तक पहुंच रहा है, लेकिन इसके बावजूद भूमि पर कब्जा जमाने वाली कंपनियों पर एमआयडीसी के अधिकारी किसी तरह का दबाव नहीं बना पा रहे है. जिससे एमआयडीसी की यह मूल्यवान जमीन केवल कागजों पर आरक्षित होकर रह गई है. 

कंपनियां कर रही है वादाखिलाफी

गोल्डन फायबर ने अपने यूनिट में जो मामूली प्रोडक्शन शुरू किया है. जबकि कंपनी के पास नांदगांव पेठ एमआयडीसी के टी-2 क्षेत्र की 100534.00 स्क्वे.मीटर जमीन है. इस यूनिट से 950 लोगों को रोजगार देने का वादा कंपनी ने किया था. साथ ही 210 करोड़ रुपये की लागत भी दस्तावेजी तौर पर बताई गई थी. लेकिन यहां पर कंपनी ने कोई भी वादा नहीं निभाया है. कंपनी में कुछ ही कर्मियों के भरोसे यह यूनिट चलाया जा रहा है. 

हजारों स्क्वे.मीटर जमीन हो रही निरुपयोगी 

वीएचएम कंपनी का भी यही हाल है. कंपनी ने एमआयडीसी की 45 हजार स्क्वे.मीर जमीन ली है. जिस पर मामूली उत्पादन शुरू किया. श्याम इंडो फेब द्वारा टी-1 क्षेत्र में 60030 स्क्वे.मीटर भूक्षेत्र पर यह युनिट स्थापित किया गया है. जिस पर 500 लोगों को रोजगार देने का वादा करते हुए 273 करोड़ रुपये का निवेश करने की बात कही गई थी. लेकिन यहां भी पर्याप्त लोगों को ना ही रोजगार मिल रहा है और न ही संतोषजनक उत्पादन हो रहा है.

केवल यूनिट को चालू स्थिति में बताने के लिये मामूली उत्पादन लिया जा रहा है. सूर्यलक्ष्मी  कॉटन मिल के पास 150000.00 स्क्वे. मीटर जमीन है. कंपनी ने जमीन लेते समय 400 लोगों को रोजगार देने की बात कहीं थी. लेकिन यहां अभी भी 100 से भी कम मजदूर और कर्मी काम कर रहे है. जिनमें भी अधिकांश कर्मी बाहर के है. 

स्थानीय लघु उद्योजकों को नहीं मिल रही जमीन 

शहर में बढ़ती बेरोजगारी के चलते कई बेरोजगार युवा स्वयं व्यवसाय की दिशा में कदम बढ़ाते हुए छोटे उद्योग स्थापित करने की कोशिश कर रहे है. सरकार द्वारा ऐसे युवाओं के लिये सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उद्योजनशीलता योजना, मुद्रा लोन जैसी कई योजनाएं  चलाई जा रही है. लेकिन एमआयडीसी प्रशासन द्वारा सरकार और युवाओं के प्रयासों पर पानी फेरा जा रहा है. एक ओर जहां बडी उद्योग इकाईयां जमीनों को निरुपयोगी कर रही है वहीं नई उर्जा से सरोबार शहर के बेरोजगार युवकों को जमीन देने में एमआयडीसी प्रशासन अपने कदम पीछे खींच रहा है. 

50 यूनिट फुल फेज में शुरू 

नांदगांव पेठ के टेक्सटाईल पार्क में लगभग 50 उद्योग इकाईयां शुरू है. जिनमें 34 से 35 बड़े ग्रुप की है. जबकि शेष लोकल कंपनियां हैं. जहां पर काम सुचारू है. साथ ही अमरावती एमआयडीसी में सभी 580 यूनिट भी शुरू है. कोविड 19 के नियमों का पालन किया जा रहा है.-राजा गुठाले, प्रादेशिक अधिकारी