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अमरावती. सरकार द्वारा पीओपी पर लगाई पाबंदी पर पुनर्विचार कर मूर्तिकारों का पक्ष जान लेने की प्रमुख मांग समेत विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को मूर्तिकारों ने विशाल मोर्चा निकाला. इर्विन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक निकाले गए इस मोर्चे में संभाग के पांचों जिलों से सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष मूर्तिकार शामिल हुए. 

पर्यावरण पूरक है पीओपी

आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर जिलाधीश शैलेश नवाल को ज्ञापन सौंपा. जिसमें कहा गया कि पीओपी से कोई प्रदूषण अथवा कोई बीमारी नहीं होती है. यह शास्त्रज्ञों ने समय-समय पर सिध्द किया है. इसकी रिपोर्ट सरकार व कोर्ट में प्रस्तुत की है. विसर्जन व्यवस्था व मूर्ति विघटन पर ध्यान दिया जाए तो यह समस्या का शत-प्रतिशत हल संभव है. 

हजारों होंगे बेरोजगार

निवेदन में कहा गया कि हर जिले में सैकड़ों मूर्तिकार व व्यवसायी पीओपी मूर्तियों के भरोसे जीवनयापन कर रहे है. यदि पीओपी पर पाबंदी कायम रहती है तो राज्य भर के हजारों लोग बेरोजगार होंगे. उसी प्रकार मूर्तिकार द्वारा कुंभार समाज को सरकारी जगह उपलब्ध कराने, मूर्तिकारों के बचत समूह तैयार कर उन्हें कर्ज उपलब्ध कराने, मूर्तिकारों को मूर्ति बिक्री के लिए निश्चित जगह उपलब्ध कराने, कुंभार समाज के 60 वर्ष से अधिक कारीगरों को पेंशन देने, संत गोरोबा काका जन्मस्थान तेरढोकी को ‘अ’ दर्जा देने की मांग भी निवेदन में की गई है. 

अनशन की चेतावनी

मूर्तिकार आंदोलनकारियों ने मांगें नहीं माने जाने की सूरत में अनशन की चेतावनी भी निवेदन में दी है. श्री गणेश मूर्तिकार फांडेशन, विदर्भ कुंभार समाज मूर्तिकार संगठन के बैनर तले निकले इस मोर्चे में दिनेश टेंभरे, सुरेश चिल्लोहरकर, दीपक गोरुले, संतोष चिल्लोहरकर, गजानन गुजरे, सचिन प्रजापति, फुलचंद पेंढारकर, रमेश चिल्लोरे, संदीप अनुकुले, सचिन कोलेश्वर, बंडु कंचनपुरे, विनायक बावस्कर, निलेश पेंढाकर, निशांत धकाते आदि समेत सैकड़ों मूर्तिकार शामिल हुए.