– विनोद पाटिल की सरकार से मांग
औरंगाबाद. जून माह आरंभ होते ही किसान बुआई के कामों में जुट जाता है. बुआई के लिए किसानों को बड़े पैमाने पर पैसों की जरुरत होती है. ऐसे में सरकार ने किसानों को बीज व खाद खरीदने के लिए कर्ज देने की घोषणा की है. इस घोषणा पर राष्ट्रीयकृत बैंक अमलीजामा पहनाने से कन्नी काट रहे हैं. जो सरकारी बैंक किसानों को कर्ज देने में लापरवाही कर रहे हैं, उन बैंकों के प्रबंधकों पर गंभीर मामले दर्ज करने की मांग आर.आर. पाटिल फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद पाटिल ने राज्य सरकार से की.
कई जिलों के किसानों से संपर्क किया
विनोद पाटिल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि वे एक किसान हैं. बुआई के मौसम में किसानों की आपबीती जानने के लिए उन्होंने राज्य के कई जिलों के किसानों से संपर्क किया. सरकार की ओर से किसानों को कर्ज पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा गया. पाटिल ने बताया कि हर किसान के पास स्मार्टफोन होना असंभव है. लाखों किसान अशिक्षित होने से वे कर्ज पाने के लिए बैंक का एप डाउनलोड नहीं कर सकते. सरकार द्वारा जारी किए लिंक का इस्तेमाल नहीं कर सकते. राज्य के हर तहसील में 25 से 30 हजार किसान है. सेतु सुविधा केन्द्र पर दिन-रात किसानों ने लंबी कतारे लगाकर आवेदन भरा तो हर तहसील के किसान कर्ज के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. ऐसे में राज्य सरकार ने बैकों को तत्काल जो किसान मांगेंगा उसे कर्ज देने के आदेश देने चाहिए. साथ ही मैन्यूअली भी इसकी शुरुआत करनी चाहिए.
सरकार के निर्देश के बाद किसानों की प्रताड़ना
विनोद पाटिल ने बताया कि बैंकों को सरकार की ओर से हाल ही में कर्ज देने के बारे में सख्त आदेश आने के बाद गत दो दिन से बैकों द्वारा परिपत्रक निकालकर किसानों को 7/12 चाहिए, फेरफार की नकल चाहिए, नो ड्यूज चाहिए, इस तरह के दस्तावेज मांगकर परेशान किया जा रहा है. पिछले काल में सरकार की ओर से जिन किसानों को कर्ज माफी दी गई, लेकिन उसका पंजीकरण ऑनलाइन बैंकों में न होने के कारण आज भी किसान कर्ज से वंचित है. राष्ट्रीय कृत बैंक किसानों को कर्ज देने के लिए बैंक के दरवाजे पर भी खड़ा करना पसंद नहीं कर रहे है. ऐसे में जो सरकारी बैंक किसानों को कर्ज देने में अनदेखी कर रहे हैं, उन बैंक के प्रबंधकों पर मामला दर्ज करने की मांग आर.आर. पाटिल फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद पाटिल ने की.