pankaja munde
पंकजा मुंडे (फाइल फोटो)

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    औरंगाबाद. सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र के स्थानीय संस्थाओं में अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण को  रद्द करने के निर्णय को कायम रखते हुए ठाकरे  सरकार द्वारा दाखिल की गई पुनर्विचार  याचिका को ठुकरा दिया है। ठाकरे सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष  रखने में कमजोर साबित हुई है।  इसलिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उक्त निर्णय कायम रखा है।  सरकार  के इस निर्णय से ओबीसी समाज में घोर  निराशा फैली है।  स्थानीय स्वराज्य  संस्थाओं में अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण कायम  रखने के लिए राज्य सरकार कैबिनेट (Cabinet) में उपसमिति स्थापित कर एक  टाईम बॉंड प्रोगाम तैयार कर सरकार  कोर्ट  के  फैसले पर  फिर विचार करते हुए निर्णय लेने की जरुरत है।  यह मांग भाजपा की राष्ट्रीय सचिव तथा राज्य की  पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) ने यहां की। 

    उन्होनें ठाकरे सरकार को चेताते हुए कहा कि सरकार जल्द इस मामले में कोई ठोस निर्णय लें, वरना  भाजपा द्वारा राज्य में चुनाव नहीं होने दिए जाएंगे। बता दें कि तीन दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण रद्द करने के  निचली अदालत के निर्णय को कायम रखा है।  कोर्ट के इस निर्णय से राज्य  की ठाकरे सरकार को तगड़ा झटका लगा है।  कोर्ट के इस निर्णय के बाद सोमवार शाम आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा की वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने ठाकरे सरकार पर निशाना साधा।  

    जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट में अपना मजबूत पक्ष रख नहीं पायी ठाकरे सरकार 

    उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ओबीसी को अतिरिक्त आरक्षण  देने को लेकर  अपना मजबूत  पक्ष  सुप्रीम कोर्ट में रखना चाहिए था, वह जानबूझकर  नहीं रख पाया।  पंकजा ने कहा कि जब वह राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री थी, तब उन्होंने ओबीसी आरक्षण मामले में  एक अभ्यास गुट स्थापित करते हुए अध्यादेश निकालकर यह विषय कायम रखने का प्रयास किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हमें अगली तारीख  भी दी थी।  उसके बाद महाराष्ट्र  में चुनाव हुए तथा महाविकास आघाडी ने सत्ता संभाली।  सरकार  स्थापित होने के  15 महिने तक इस मामले में किसी प्रकार का निर्णय सरकार द्वारा न लेने से तत्कालीन फडणवीस सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश कोलाप्स हुआ।  इस मामले में खुद सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने माना था कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी को 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण हुआ है।  पंकजा मुंडे ने कहा कि  जिस तरह मराठा आरक्षण मामले में ठाकरे  सरकार फेल हुई, उसी तरह ओबीसी आरक्षण में भी फेल हुई है। 

    ओबीसी समाज को  न्याय देने की जरुरत 

    उन्होंने सरकार को इस मामले में सुझाव देते हुए कहा कि वे जल्द से जल्द पिछड़ा जाति आयोग के माध्यम से एक गुट  स्थापित करें क्योंकि, यह विषय जल्द हल कर ओबीसी समाज को  न्याय देने की जरुरत है। सुप्रीम कोर्ट में  राज्य सरकार नाकाम होने के बाद अब जनता की दिशाभूल करते हुए इस मामले को  जनगणना की ओर टर्न किया जा रहा है। जबकि, न्यायमूर्ति कृष्णमूर्ति द्वारा दिए गए परिणाम के परिशिष्ट 48 के निष्कर्ष तीन के इम्पारिल डाटा में कहीं भी जनगणना का जिक्र नहीं है।  इसलिए सरकार ने जल्द से जल्द कैबिनेट में उपसमिति स्थापित कर 1 टाईम  बॉंड प्रोगाम तैयार कर इस निर्णय पर फिर विचार कर निर्णय लेने की जरुरत है।  सरकार ने यह कदम नहीं उठाया तो भाजपा  स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की चुनाव नहीं होने देगी, यह चेतावनी पंकजा मुंडे ने यहां दी।  पत्रकार परिषद में सांसद डॉ. भागवत कराड, सांसद प्रीतम मुंडे, शहराध्यक्ष संजय केणेकर, पूर्व मेयर बापू घडामोडे आदि उपस्थित  थे।