NGO in US raises $ 950,000 for Indian school children
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मोहाड़ी. ग्रीष्मकाल में स्कूल में शेष होनेवाले अनाज वितरण के बारे में सरकार ने चिंता व्यक्त करने के बाद शालेय पोषण आहार को पूरी तरह से विराम दिया गया है. कोरोना के कारण सभी लोग व्यस्त है. मार्च से छात्रों ने स्कूल में कदम नहीं रखा है. जून से शालेय सत्र की शुरुआत होने के बावजूद स्कूल की घंटी नहीं बजी है. कोविड-19 के संकट से गांव सुरक्षित है, यह कहना गलत है. अब कोरोना गांव तक भी फैल गया है. दिन ब दिन कोरोना का डर अधिक बढ़ने लगा है. इस कारण स्कूल बंद शिक्षा शुरू है.

कक्षा 1 ली से लेकर 8 वीं के बच्चों के हक का शालेय पोषण अभी भी शाला में नहीं पहुंचा. सभी शालाओं ने ग्रीष्मकाल में शेष होनेवाला अनाज का संग्रहण बच्चों को वितरित किया गया. स्कूल में बच्चें नहीं आए, लेकिन फिर भी ऐसे आपदा की स्थिति में बच्चों तक शालेय पोषण आहार पहुंचना जरूरी था. बच्चों के लिए अनाज कब वितरित किया जाए इसकी प्रतीक्षा कर रहे है. जुलाई आधा बीत चुका है. कोविड 19 के संकट से पोषण आहार योजना को समस्या निर्माण हुई है.