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  • .बिजली उपभोक्ताओं ने सुनाई अपनी व्यथा
  • .कोराना काल से उत्पन्न बिल समस्या अभी-भी जारी

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पालांदूर (सं). कोरोना संकट काल में बहुत ज्यादा बिजली का उपयोग किए जाने के फलस्वरूप बिल की भुगतान राशि बहुत ज्यादा आने से उपभोक्ताओं में आक्रोश व्याप्त हो गया था. अधिकांश उभोक्ताओं ने सरकार से अपील की है कि वह कोरोना काल में आअ सभी बिजली बिल को माफ कर दे. कोरोना के प्रादुर्भाव के कारण 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन किया गया. इसके बाद लॉकडाउन का सिलसिला लगातार चलता रहा. अप्रैल, मई, जून, जुलाई , अगस्त तथा सिंतबर की अब तक की अवधि में ग्राहकों को बिजली बिल के रूप में बहुत सी धनराशि अदा करनी पड़ रही है.

महावितरण की ओर से कोरोना काल में बिजली बिल का दर बढ़ाने से ग्राहकों को जो बिल भेजा गया, उसमें अंकित धनराशि देखकर ग्राहकों की ओर से यही सवाल पूछा गया कि यह एक माह का बिल है या दो माह का. हालांकि कोरोना काल में ग्राहकों को यह आश्वासन दिया गया था कि बिजली बिल की पचास प्रतिशत धनराशि माफ की जाएगी, लेकिन इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ग्राहकों को तीन माह का बिल एक साथ भेजा गया है. बहुत ज्यादा बिल आने से उसे कैसे भरा जाए, यह सवाल लोगों को परेशान कर रहा है.

सरकार की ओर से सर्वसामान्य लोगों को घरेलु बिजली बिल छूट देने के संदर्भ में विचार करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक इस बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया है. हां इतना जरूर है कि महावितरण ने बिजली की दर बढ़ाकर भारी- भरकम बिल ग्राहकों को भेजा, लेकिन बिजली बिल की राशि हर बिल में इतनी ज्यादा दर्ज की गई है कि ग्राहकों को सोचना पड़ रहा है कि इतना बिल भरा तो महिने का बजट गड़बड़ हो जाएगा.

कोरोना संकट में हाथ का काम चले जाने की वजह से लोगों आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है और इस हालत में भारी भरकम बिजली का बिल देखकर लोगों का पसीना छूट जा रहा है.

शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली ग्राहक भारी बिल के कारण बहुत परेशान हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों तथा खेत मजदूरों की संख्या ज्यादा होने के कारण यहां के अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति सामान्य ही है, ऐसे में ज्यादा बिल जमा करने इन किसानों के लिए संभव नहीं होता, लेकिन महावितरण को इस बात से कोई लेना-देना नहीं है, उसने छूट देने की जगह दर बढ़ाकर ग्राहकों की समस्या को और ज्यादा बढ़ा दिया है. लंबे समय से कामकाज बंद होने की वजह से सरकार की तिजोरी पर भले ही असर पड़ा हो लेकिन गरीब जनता के बारे में सोचना सरकार की पहली जिम्मेदारी है, ऐसे में कोरोना काल में आए भारी भरकम की बिजली बिल के साथ-साथ बढ़े हुए बिजली दर को वापस लेने की मांग जोरशोर से की जा रही है.