पालांदूर. सार्वजनिक जीवन में काम करते समय कोई गलती हुई हो तो उसे स्वीकार करके बड़प्पन दिखाना चाहिए, लेकिन ऐसा करना हर किसी के लिए संभव नहीं है. बहुत से लोग गलती हुई है, यह जानकर भी अपनी गलती स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते, जिसका नतीजा यह होता है कि ऐसे लोग एक के बाद एक करके अनेक गलतियां करते रहते हैं और उन्हें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं होता कि वे कितनी गलतियां कर रहे हैं. कई बार तो यह भी देखने को मिलता है कि अपनी गलती को स्वीकारने को वे अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लेते हैं.
धार्मिक कार्यक्रम पर प्रतिबंध तथा गांव के क प्रतिष्ठान उदघाटन में हजारों लोगों की भीड़ को जिला प्रशासन कैसे अनुमति देता है, इस बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
वैश्विक महामारी कोरोना को वक्रदृष्टी ने पूरा विश्व देख रहा है. कोरोना महामारी सामूहिक फैलाव की स्थिति में लोगों की भीड़ के कारण इस रोग के मरीजों की संख्या में और ज्यादा वृद्धि होगी, यह बात जनता को बार-बार समझाने वाले जिला प्रशासन को किसी उद्घाटन समारोह के दौरान समझ में क्यों नहीं आती.
एक ओर राज्य सरकार धार्मिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाती तो दूसरी ओर उद्घाटन समारोह को अनुमति इस दोहरी नीति से कोरोना को दूर भगाना संभव नहीं है. गांव-गांव में जन स्वास्थ्य की चिंता करते हुए “मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी”, कोरोना एटीजन टेस्ट जैसे उपक्रम चलाए जा रहे हैं, समाचार पत्रों में भी इस संबंघ में लगातार सूचना दी जा रही है.
लोगों को जागरुक किया जा रहा है, तो फिर ऐसे समय पालांदूर तथा उसके आसपास के परिसर में स्थित ग्रामपंचायत के पदाधिकारियों की भूमिका क्या है? अगर इस बीमारी का भय सरकार को लगता ही नहीं तो सरकार ने स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल सभी सुरू नहीं किए होते? सरकार ने अपने बहुत से कर्मचारियों को”वर्क फ्रॉम होम” करने के लिए कहकर उन्हें वेतन क्योम दिला होता का? इस महामारी का भय लग रहा होगा तभी तो सरकार ने तरह-तरह के नियम तथा प्रतिबंध लगाए हैं.
पालांदूर तथा उसके आसपास के परिसर में विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी, अग्रणी नेता, वर्तमान तथा पूर्व लोक प्रतिनिधी रहते है. ग्राम पंचायत प्रशासन,विभिन्न शासकीय कार्यालय हैं. बहुत से अधिकारी रहते हैं, ऐसे अधिकारियों को इस तरह की छोटी से बड़ी सभी बातों की ओर बारीकी से नज़र रखना चाहिए. अगर जिम्मेदार अधिकारियों से नज़र चुराकर इस तरह का काम किया जा रहा हो तो इसका सीधा अर्थ यही है कि किसी को भी किसी के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है.