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भंडारा. देश भर में 41 आयुध निर्माणी इकाइयों का निगमीकरण करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी महासंघ के आव्हान पर न्यू एक्सप्लोसिव फैक्टरी वर्कर्स यूनियन भंडारा ( इंटक) के नेतृत्व में शुक्रवार की सुबह कर्मचारियों ने मेन गेट के सामने नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों को संबोधित करते हुए नेताओं ने इसके बाद देशव्यापी हड़ताल करने की चेतावनी दी.

परेशान हैं श्रमिक
एक ओर देश में कोरोना जैसी महामारी के कारण श्रमिकों और आम जनता की हालत बिगड़ रही है. ऐसे समय में, आर्डनेंस फैक्टरी के श्रमिकों ने सैनिटाइजर, पीपी किट, टेंट और मास्क बनाकर सरकार और आम जनता की मदद की. ऐसे परिदृश्य में, जब एक-दूसरे की देखभाल करने की आवश्यकता होती है, तब सरकार स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल करने का आह्वान करती है. और दूसरी ओर सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया है. साथ ही बीजेपी शासित राज्यों ने लेबर एक्ट में संशोधन कर काम के घंटे को 8 से 12 घंटे में बदलने का फैसला किया है.

खाली हो रही फैक्टरियां
फैक्टरियां मजदूरों से खाली हो रही हैं, श्रमिक बेघर हो रहे हैं. बेरोजगारी चरम पर है. बच्चों और मजदूरों की दुर्दशा को न देखते हुए यह सरकार मजदूरों की भावनाओं के साथ खेल रही है और उनके घावों पर नमक छिड़क रही है. साथ ही सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है. डीए को रोक दिया है. भत्तों को रोक दिया है. हर ट्रेड यूनियन सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है. कोरोना के नाम के तहत, सरकार ने अपने छिपे इरादों को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी है.

पिछली हड़ताल के समय, सरकार ने आयुध निर्माणी इकाई का निगमीकरण पर एक समिति गठित करने और ट्रेड यूनियनों के साथ चर्चा करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने का वादा किया था. लेकिन आज तक कोई चर्चा या रिपोर्ट नहीं आई है. प्रदर्शन के दौराना महासचिव चंद्रशिल नागदेवे, जेसीएम सदस्य नाना जेठे, एकनाथ कुंजेवार, रंजीत बागड़े, आशीष चौधरी, अजीत आमटे, कुंदन चौरे, अमोल दोड़के, मिलिंद रोकड़े, नीलेश भोले , संघरक्षित गजभिये, ए. जे. पात्रे, टी. डी. भोतमांगे, प्रफुल गजभिये, एस. पी. घरडे , विशू रामटेके, मिथुन खोब्रागड़ आदि पदाधिकारी उपस्थित थे.