Tulsi Vivah, Market, Bhandara

  • घर-घर हो रहे तुलसी विवाह

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पालांदूर. दिवाली समारोह के पूरा होने के बाद अब तुलसी विवाह का आकर्षण बना है. तुलसी विवाह गुरुवार से शुरू हुआ है. विवाह समारोह भक्तों की ओर से मनाया जा रहा है. तुलसी विवाह के बाद प्रत्यक्ष विवाह का क्षण भी शुरू होता है. इसी कारण से दिवाली के उत्सव के बाद घर के आंगन में तुलसी विवाह करने की परंपरा है. परंपरा के अनुसार तुलसी विवाह गुरुवार से लाखांदूर व क्षेत्र में शुरू हुआ. शाम के समय घर-घर जाकर समारोह मनाया गया. इस विवाह के लिए बाजार तैयार हुए है.

सादगी से किया जा रहा आयोजन

तुलसी विवाह के लिए गन्ना, आंवला, विभिन्न फल, हल्दी कुमकुम आदि का उपयोग किया जाता है. इस आधार पर सामग्री बिक्री के लिए बाजार में सजे हैं. इस वर्ष इस तुलसी विवाह समारोह में भी कोरोना का संकट आ गया है. इसके चलते इस वर्ष तुलसी विवाह सादगी से मनाया जा रहा है. तुलसी विवाह हर साल प्रबोधनी एकादशी से शुरू होता है. विवाह त्रिपुरारी पूर्णिमा तक मनाया जाता है. इस दिन कार्तिक मास कार्तिक स्नान के साथ समाप्त होता है. प्रबोधनी एकादशी के बाद दूसरा दिन द्वादशी है. 

कार्तिक पूर्णिमा होंगे विवाह

तुलसी विवाह कार्तिक पूर्णिमा यानि त्रिपुरी पूर्णिमा तक के दिनों में किया जा सकता है. जालंधर असुर की पत्नी वृंदा एक बड़ी पतिव्रता थी. उसके पुण्य के कारण देवताओं के लिए अजेय था. वृंदा को भ्रष्ट किए बिना जालंधर की हार संभव नहीं थी. इसलिए भगवान महाविष्णु ने जालंदर की अनुपस्थिति में उसका रूप धारण कर लिया और उसके महल में जाकर वृंदा का सत्वहरण किया. सती वृंदा यह आगे तुलसी रूप से प्रकट हुई. तब उसका महत्व बढ़ाने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं उसके साथ विवाह किया. इस विवाह की स्मृति में कार्तिक शुद्ध द्वादशी को तुलसी विवाह कहते है.