teak tree cutting
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  • धड़ल्ले से की जा रही कटाई

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पालांदूर. सरकार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने प्रतिबद्ध है और पौधारोपण और वृक्षों के संरक्षण पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. वन विभाग के अधिकारियों और लकड़ी व्यापारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीनों पर मूल्यवान सागौन के वृक्ष धड़ल्ले से काटे जाने की बात सामने आयी है.  हालांकि फिल्ड असिस्टेंट के साथ जंगल रक्षक ने जब ऑन द स्पॉट पूछताछ की तो सच्चाई सामने आई, किंतु जंगल रक्षक जानबूझकर इस बारे में जानकारी देने से बच रहे हैं.

वनविभाग की लापरवाही

सागौन के साथ-साथ अन्य वृक्षों की कटाई से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है.  गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान सभी सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से सरकारी भूमि पर 50 करोड़ पौधे लगाए गए थे. यद्यपि इन पौधों की सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व वन विभाग पर है, किंतु इस विभाग के लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों के कारण वृक्षों की अवैध कटाई धड़ल्ले से हो रही है.  

वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय अङयाल, सहायक वन क्षेत्र किटाड़ी, धानला / खराशी सरकारी झील (आम्बेबोडी) जो बीट देवरी के अंतर्गत आता है, इसमें कई वृक्ष लगे हैं,  उनमें से बहुमूल्य सागौन के वृक्ष काटे गए हैं. जंगल रक्षक हनमंत मुसले को जब इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने फिल्ड सहायक के साथ झील का मुआयना किया.  सागौन की लकड़ी व्यापारियों और वन श्रमिकों के बीच मिली-भगत की आशंका से इंकार नहीं करता.  वरिष्ठ वन अधिकारी को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देते हुए वन माफिया कौन है?  इसका पता लगना जरूरी है.