साकोली (सं). सहानगड यह एक ऐतिहासिक किला है, लेकिन इस सहानगड किले के विकास की ओर ध्यान न दिए जाने उसकी लगातार उपेक्षा होती रही है. साकोली के 20 किमी दूर सानगडी गांव स्थित है. सानगडी किले के कारण सानगडी गांव को ज्यादा महत्व प्राप्त हुई है. सानगड किले के कारण ही गांव को सानगडी नाम दिया गया है. सन् 1734 में निर्मित यह किला भोसले कालीन है.
गांव के बाहर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस किले का निर्माण नागपुर के रघु जी राजे भोसले ने कराया था. किले के अंदर एक छोटा सा मंदिर है, जिसमें स्थापित मूर्तियों का दर्शन करने के लिए आते हैं. सहानगड किले के परिसर का वातावरण बहुत सुंदर है. यहां पास में ही एक तालाब है, इस तालाब में लोग पार्टियां करते हैं और तालाब परिसर को खराब कर देते हैं. शराब पीने वालों के लिए यह स्थान सबसे पसंदीदा बन हुआ है. इतना ही नहीं लोग इस तालाब में बांसी भोजन भी फेंकते हैं और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस किले की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं.
किले की गंदगी के बारे में जब सानगडी के खुशांत गायधने, खुशाल हेडाऊ, लोकेश उईके, गौरव राऊत, अभिषेक उपरीकर ने किले की सफाई करने का संकल्प लिया और किले की सफाई करके पूरे परिसर को इतना अच्छा कर दिया है कि अब किसी को यह यकीन ही नहीं हो रहा है कि कभी सहानगड किला अथाह गंदगी से युक्त था. गांव की सफाई में अहम भूमिका अदा करने वाले युवकों को गांव की जनता ने सराहना की है. इन युवकों ने साकोली के अन्य प्राचीन स्थलों को गदंगी के साये से दूर करने का संकल्प लिया है. गांव वालों को पूरा भरोसा है कि इन युवाओं के कारण साकोली के सभी उपेक्षित धरोहरों की ओर भी पर्यटकों के कदम बढ़ेंगे.