भंडारा. जिले में जंगल का विस्तार बहुत ज्यादा है. इस फायदा उठाते हुए यहां के वन तस्कर वन प्राणियों का शिकार करने के लिए विद्युत प्रवाह का उपयोग में ला रहे हैं. हर वर्ष हजारों वन प्राणियों का शिकार किया जा रहा है. वन विभाग की उपेक्षा के कारण प्राणियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है.
पूर्व विदर्भ के कुल जंगल क्षेत्रों में भंडारा जिले सबसे ज्यादा वन प्रभावित है. नागजीरा तथा नवेगांव बांध व्याघ्र प्रकल्प, कोका अभयारण्य, उमरेड- कान्हाडा अभयारण्य से जुड़ा हुआ है, इस वजह से इस क्षेत्र में वन प्राणियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है.
वन प्राणियों का विभिन्न पद्धति अपनाकर शिकार किया जा रहा है. वन प्राणियों का शिकार करने के लिए शिकारी कुत्तों को तैयार किया गया है. जंगल में वन प्राणियों का शिकार करने के लिए कुत्तों की मदद कैसे ली जा रही है.
प्राणी जब थक जाते हैं और कही बैठकर विश्राम करते हैं, उस वक्त शिकारी कुत्ते को प्राणियों का शिकार करने के लिए छोड़ दिया जाता है. इतना ही नहीं प्राणियों का शिकार करने के लिए विद्युत प्रवाह किया जाता है. गांव के छह लोगों का दल तैयार करके वन प्राणियों का शिकार किया जाता है.
वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण वन प्राणियों का शिकार हो रहा है. वन प्राणियों का शिकार होने की घटना पर कैसे नियंत्रण किया जाएगा, यही सबसे बड़ा सवाल है.