Citizens will agitate for artificial water scarcity and drinking water in Anjangaon
File Photo : PTI

  • नियोजन के अभाव में परिस्थिति गंभीर होने की प्रबल संभावना

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भंडारा. धान और तालाबों के जिले के रूप ख्यात भंडारा में आने वाले दिनों में जल संकट उत्पन्न होने की प्रबल संभावना नज़र आ रही है. कहा जा रहा है कि पानी का उचित भंडार होने के बावजूद जिले में जल के लिए हाहाकार मचने वाला है. फरवरी माह के अंत में यह खबर आई थी कि जिले के अंतर्गत आने वाले जलाशयों में पर्याप्त जल भंडार है, लेकिन नियोजन के अभाव में कहीं-कहीं जल का अपव्यय होगा तो कहीं स्थिति ऐसी होगी कि वहां जल की किल्लत होगी. मार्च माह से भी सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्म किरणों से लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. ऐसे में अगर नियोजन के अभाव में जल के लिए हाहाकार मचा तो स्थिति और भयावह होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.

नदी किनारे गांवों में भी किल्लत

गांव की महिलाओं को पानी की तलाश के लिए सिर पर बर्तन रखकर घूमने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि जिले में जल समस्या के निराकरण के लिए योजना तो बनायी गई है, लेकिन सही नियोजन न होने के कारण जिले के लोगों को जल समस्या की स्थिति का सामना करने की उम्मीद अभी से जतायी जाने लगी है. बावनथड़ी, चूलबंद नदी तट के समीप के गांवों के लोगों को तो अभी से ही जल संकट सताने लगा है. दूसरी ओर वैनगंगा नदी के तट पर स्थित गांवों के लोगों को तो दूषित पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यानि एक तरफ पानी के उचित नियोजन का अभाव है, तो दूसरी दूषित पानी. ऐसे में ग्रीष्मकाल में जल को लेकर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जल को लेकर हाहाकार मचेगा.

कुओं का होगा अधिग्रहण

भंडारा जिले के गांव में कुओं का अधिग्रहण प्रशासन को करना पड़ेगा. मार्च माह के अंत तक गांव के लिए कुएं का अधिग्रहण किए जाने की उम्मीद है तो अप्रैल से जून माह की कालावधि में कुंओं का अधिग्रहण किए जाने की जानकारी मिली है. इसके लिए खर्च किए जाने का अनुमान है. भंडारा जिले को जल संकट से दूर रखने के लिए सिंचाई कुओं का निर्माण करने की योजना बनायी गई है. इन कुओं के लिए खर्च किए जाएंगे. गांवों के सिंचाई कुओं की मरम्मत भी की जाएगी, इसके लिए बजट तय किया गया. 

कहीं- कहीं मंगाना पड़ता है टैंकर

भंडारा जिले की पहचान टैंकर मुक्त जिला के रूप में है. जिले में पिछले 20 वर्षों में कहीं भी टैंकर से जलापूर्ति नहीं की गई है. मई माह में जिले में हर वर्ष कुछ हद तक जल संकट की स्थिति पैदा होती है, तब लोगों को अपने पैसे खर्च कर जल का टैंकर मंगाना पड़ता है. कुएं का जल स्तर कम होने पर दूषित जल की समस्या खड़ी होती है, इतना ही नहीं ग्रीष्मकाल में हैंडपंप में भी पानी नहीं आता. पाइप लाइन योजनाएं इस मौसम में बेकार हो जाती हैं. इन हालात में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं.

लाखनी, साकोली के कई गांवों में संकट

लाखनी तथा साकोली तहसीलों में कई गांव ऐसे हैं, जहां हर वर्ष ग्रीष्मकाल में लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यहां के लोगों को आश्वासनों के झुनझुने के अलावा कुछ नहीं मिला है. लाखांदूर तहसील के भी कई गांवों को ग्रीष्मकाल में जल संकट सहन करना पड़ता है, लेकिन यहां के लोगों को भी केवल आश्वासन ही दिया गया है. पिछले कुछ वर्षों से जो स्थिति पूरे भंडारा में जो जल संकट ग्रीष्मकाल में देखने को मिलता है, कुछ वैसा ही या उससे भी ज्यादा भयावह स्थिति इस बार देखने को मिल सकती है.        

उपाय सिर्फ कागजों पर ही सीमित

हर वर्ष ग्रीष्मकाल आते ही प्रशासन के सामने यही संकट उत्पन्न खड़ा हो जाता है कि जल की समस्या का समाधान कैसे किया जाए. जल समस्या के समाधान के लिए कागजों पर तो योजनाएं बहुत दिखती हैं, लेकिन वास्तविक धरातल पर जल संकट के निवारण के लिए कुछ भी नहीं किया जाता है. आज की स्थिति को देखते हुए आने वाले दिनों में जल संकट के और ज्यादा बढ़ने की आशंका अभी से व्यक्त की जाने लगी है. कहा जा रहा है कि जिले के गांवों को जल संकट से जूझना पड़ सकता है. सरकार की ओर से यह कहा जा रहा है कि जिले की जल समस्या का समाधान करने के लिए योजना तो बनायी है, लेकिन यह योजना कागज पर जितनी दमदार दिखती है, वास्तविक रूप में उतनी ही कमजोर है.