102 साल के स्वतंत्रता सेनानी बिस्वनाथ दास, कल होंगे राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित

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– मृणाल पाठक 

बिस्वनाथ दास के लिए 102 महज़ एक संख्या है. उम्र से उनकी फुर्ती का आकलन नहीं लगाया जा सकता. ओडिशा के बिस्वनाथ स्वतंत्रता सेनानी है. जिन्हें 9 अगस्त 2020 को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. ओडिशा के 10 स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बिस्वानाथ दास हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्राप्त होगा.

उनका जीवन और जीवनशैली, लोगों के लिए एक उदाहरण है. बिस्वनाथ दास बाघ बान सिंधोला के बालिकुदा तहसील के अंतर्गत एक गांव के निवासी हैं. दास आज भी क्रियाशील हैं और अपना सारा काम स्वयं करते हैं. उन्हें गांव के नेता के रूप में माना जाता है. वे  इतनी अच्छी मानसिक स्थिति में हैं कि लोग अपने विवादों को सुलझाने और समस्याओं के समाधान के लिए उनके पास आते हैं.

उनका जन्म सन् 1918 में हुआ था. उन्होंने स्पैनिश फ़्लू महामारी को देखा है. इसलिए उन्होंने कोरोना के चलते लोगों को सलाह दी है कि हमेशा एक सक्रिय जीवन जीना चाहिए. दास कहते हैं कि तंदुरुस्त जीवन जीने के लिए पौष्टिक भोजन से हमें हमेशा तालुकात रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड-19 बस एक चेचक बीमारी कि तरह है, जैसे ही वैक्सीन का आविष्कार होगा तो covid19 को पूरी तरह मिटा दिया जाएगा.

हालांकि, तब तक लोगों को सुरक्षा उपाय जैसे – मास्क पहनना, सामाजिक दूरियां बनाए रखना और हाथों की नियमित धुलाई का पालन करना चाहिए. दास के बच्चों का भी दावा है कि उनके पिता को कभी कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई और ना ही उन्होंने जीवन भर अस्पताल का मुंह देखा है. दास ने अपनी लम्बी उम्र का राज़ बताते हुए कहते हैं, “सबको शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए और बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए.”

दास अपने बारे में बताते हैं कि जब वह बच्चे थे तब एक लकड़ी की साईकल चलाया करते थे. बाद में बड़े होने पर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए और आंदोलनों, अभियानों में भाग लिए. दास स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए महात्मा गांधी से प्रेरित थे. उन्होंने सरला देवी, नित्यानंद कानुंगो, मगुनी चरण कनुंगो और भागीरथी महापात्रा के साथ देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. 1942 और 1943 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें कैद कर लिया गया था. दास ने बताया कि उन्होंने जीवन में जो कुछ भी किया है, उससे वह बेहद खुश हैं.

स्वतंत्रता आंदोलन में दास के योगदान को मान्यता दी जानी तो तय है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पुरस्कार समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित ना होकर कलेक्टर संग्राम केशरी महापात्र के निवास पर होगा.