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खामगांव. जहां पर सिंचाई की सुविधा हो वहां के किसानों ने परंपरा के अनुसार खेती करने के बजाय आधुनिक तकनिक से खेती करने को प्राथमिकता दी है. जिसके कारण खेती माल को अच्छे दाम मिलने के साथ साथ दिल्ली व जम्मू जैसे बाजार में माल की खपत हो रही है. खामगांव तहसील के बोरजवला निवासी प्रगतशील किसान मधुकर तोमर के खेत में केले की फसल ली गयी है. और अब फसल आने के बाद उसे दिल्ली व जम्मू कश्मीर के बाजार में बेचा जा रहा है. जिसे 750 रुपये प्रति क्विंटल के दाम तोमर को मिल रहे है.

एक एकड़ खेत में 300 से 350 क्विंटल की पैदावार होने से उन्हें ढाई एकड़ खेत में पांच लाख रू. से भी अधिक आमदनी हो रही है. विदर्भ का किसान कभी गीले तो कभी सूखे अकाल का सामना करते करते परेशान हो जाते हैं. एक के पीछे एक आनेवाले संकटों से किसान घिरे हुए रहते हैं और आर्थिक दिक्कतों को सामना करते रहते हैं. ऐसे में जहां पर पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हैं वहां के किसान अब हमेशा की तरह खेती करने के बजाय आधुनिक तकनिक का उपयोग कर खेती की उपज के साथ खुद की आमदनी बढ़ाने में लगे हैं.

पिछले दो वर्षों से संतोषजनक बारिश होने से जमीन में जलस्तर बढ़ा है. जिससें नदी-नाले, कुएं व प्रकल्पों में पानी होने से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है. इसलिए खामगांव तहसील के वर्णा, निमकवला, कुंबेफल, कोटी, गेरू, सारोला, बोरजवला, पिंपलगांव राजा, वसाड़ी, ज्ञानगंगापुर, धानोरा, दिवठाणा, कालेगांव, रोहणा, पोरज, हिवरखेड़, वाघली, आंबेटाकली, लाखनवाड़ा, चिंचपुर, गवंढाला, जलका भडंग सहित अन्य गांवों के किसानों ने लगभग 100 हेक्टेअर खेतों में केले की बुआई की है.

बोरजवला निवासी किसान मधुकर तोमर ने बताया कि, उन्होंने ढाइ एकड़ खेत में साढ़े तीन हजार केले की बुआई की है. फसल पकने तक उन्हें सव्वा लाख रूपये खर्चा आया है.  अन्य प्रांतों में केले बेचने से अधिक लाभ हो सकता है इस उद्देश्य से उन्होंने प्रयास किए हैं. जिसमें वे काफी हद तक कामयाब रहे हैं. केले को 450 रुपये क्विंटल के उपर दाम मिलते है.

केलों की गुणवत्ता अच्छी होने से उन्हें प्रति क्विंटल 750 रुपये से दाम मिले हैं. वे दिल्ली, जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के बाजारों में केले भेज रहे हैं. व्यापारी खेत में आकर ही उक्त दाम में उनका माल उठा रहे हैं. जिससे माल यातायात की मेहनत के साथ ही खर्च भी बचता है.

आधुनिक तकनीक से खेती करे

किसानों को फसल की उपज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. लेकिन अकाल हो या भारी बारिश किसानों को नुकसान सहना पड़ता है. इसलिए जहां सिंचाई की व्यवस्था हो वहां के किसान आधुनिक तकनिक से खेती करे. जिसमें लाभ होने की अधिक संभावना होती है.-मधुकर तोमर, प्रगतशील  किसान, ग्राम बोरजवला