Metals

  • 50% से 80% तक हुए महंगे

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मुंबई. देश में चाइनीज वायरस कोविड की महामारी का प्रकोप फिर बढ़ने से भले ही यहां औद्योगिक धातुओं (Industrial Metals) की मांग कम हो गयी है, लेकिन इसके बावजूद सभी धातुओं में जोरदार तेजी आ रही है। कॉपर (Copper), एल्युमिनियम (Aluminium), जिंक (Zinc), निकल (Nickel), टीन (Tin), पलाडियम (Palladium), स्टील (Steel) सहित सभी मेटल्स 50% से लेकर 80% तक महंगे हो गए हैं और इनके दाम विगत 10 से 12 वर्षों की नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं।

विश्लेषक इनमें तेजी का दौर आगे भी जारी रहने के आसार जता रहे हैं। यह तेजी घरेलू कारणों से नहीं बल्कि ‍विश्व स्तर पर है, जिसका सीधा असर भारत पर भी पड़ रहा है और कीमतें बढ़ने से मेटल कंपनियों के शेयरों (Shares) में तेजी आ रही है, लेकिन उपभोक्ता उद्योगों (User Industries) की लागत बढ़ रही है।

लंबी तेजी के आसार

धातुओं की कीमतों में तेजी का यह दौर पिछले साल कोरोना महामारी के कारण अप्रैल-मई में आई भारी गिरावट के बाद जून-जुलाई से शुरू हुआ था, जो अब लंबी तेजी में तब्दील हो गया है। इस तेजी के मुख्य कारण हैं मौद्रिक राहत पैकेजों (Government Stimulus Package) से वैश्विक अर्थव्यवस्था (Word Economy) में लिक्विडी बढ़ना, बड़े देशों की अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी, आपूर्ति में कमी होने के साथ चाइना, अमेरिका और यूरोप में कोरोना संकट घटने के बाद भारी मांग। वैश्विक बाजारों में औद्योगिक (Industrial) और निवेश (Investment) मांग के साथ सट्टेबाजी (Speculation) भी जोरों पर है। जिससे तेजी को बल मिल रहा है।

नई ऊंचाईयों पर पहुंचते दाम

लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) में तांबा 12 वर्षों की नई ऊंचाई 9850 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है, जो मार्च में 4617 डॉलर पर था, जबकि एमसीएक्स (MCX) में तांबा 760 रुपए प्रति किलो की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। इसी तरह मुंबई में स्टील टीएमटी बार्स के दाम 65,000 रुपए प्रति टन पर पहुंच गए हैं, जो मार्च में 42,000 रुपए ही थे। यह स्टील का 2008 के बाद सर्वाधिक उच्च स्तर है। विगत 12 महिनों में लंदन में एल्युमिनियम 1424 डॉलर से बढ़कर 2400 डॉलर प्रति टन हो गया है। जबकि जिंक 1773 डॉलर से बढ़कर 2915 डॉलर प्रति टन हो गया है। एमसीएक्स में जिंक 234 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।

चीन की मांग और भारी सट्टेबाजी

विश्लेषकों का कहना है कि भारत में कोरोना संकट फिर बढ़ गया है, परंतु दुनिया के अन्य बड़े देशों में वैक्सीनेशन (Vaccination) से यह संकट कम हो रहा है। जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में फास्ट रिकवरी आ रही है और सबसे ज्यादा रिकवरी चीन (China) में आई है, जो औद्योगिक धातुओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। दूसरी तरफ कोरोना संकट के कारण विश्व स्तर पर खनन कार्य प्रभावित होने से सभी धातुओं का उत्पादन प्रभावित हुआ है। चीन और अन्य बड़े देशों की भारी मांग तथा सट्टेबाजी के चलते सभी धातुओं में तेजी आ रही है।

13 साल बाद फिर तेजी का दौर

कोटक सिक्युरिटीज (Kotak Securities) के कमोडिटी रिसर्च हैड रविंद्र राव ने कहा कि मेटल्स में इससे पहले इतनी बड़ी तेजी ‍2000 के दशक की शुरूआत में आई थी, जो 2007 तक चली थी। उस दौरान चीन सहित सभी ब्रिक्स देशों में औद्योगिकीकरण और शहरी विकास के लिए मेटल्स की अच्छी मांग रही। इस बार कोरोना संकट से अर्थव्यस्थाओं को मंदी से उबारने के लिए केंद्रीय बैंकों जो मौद्रिक राहत पैकेज दिए हैं, उससे विश्व स्तर पर मेटल मार्केट में भी लिक्विडिटी यानी मुद्रा प्रवाह खूब बढ़ गया है। साथ ही तेज आर्थिक रिकवरी से चौतरफा मांग भी बढ़ रही है। इसलिए 13 साल बाद फिर तेजी का दौर शुरू हुआ है। हालांकि भारी तेजी के बाद अब ऊंचे मूल्यों पर कुछ गिरावट भी संभव है।

ई-वाहनों और सोलार एनर्जी ने बढ़ाई मांग

रिलायंस सिक्युरिटीज (Reliance Securities) के वरिष्ठ कमोडिटी विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने कहा कि सबसे ज्यादा तेजी कॉपर में आ रही है। इसका मुख्य कारण है विश्व स्तर पर प्रदूषण घटाने के लिए भारत सहित बड़े देशों का इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और सोलार एनर्जी (Solar Energy) पर फोकस। ई-वाहनों और सोलार एनर्जी के उत्पादन में कॉपर का उपयोग काफी होता है। इस वजह से मांग बढ़ती जा रही है। इसके अलावा दो प्रमुख उत्पादक देशों चिली और पेरू में लेबर प्रॉब्लम पैदा होने से आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसलिए कॉपर में बड़ी तेजी दिख रही है, लेकिन यदि चीन अपना राहत पैकेज वापस लेता है तो सभी धातुओं में तेजी के दौर को झटका लग सकता हैं। हालांकि चीन ने अभी इसके संकेत नहीं दिए हैं। यदि कॉपर के दाम 10,000 डॉलर पार होते हैं तो फिर नई ऊंची रेंज में आ जाएंगे।