Abhijit Banerjee

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नयी दिल्ली. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि समस्याओं से निपटने को लेकर सरकार का आर्थिक प्रोत्साहन पर्याप्त नहीं था। हालांकि, बनर्जी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर में सुधार देखने को मिलेगा।

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 महामारी संकट से पहले से ही धीमी पड़ रही थी। वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2017-18 में 7 प्रतिशत से कम होकर 2018-19 में 6.1 प्रतिशत पर आ गयी। वहीं 2019-20 में घटकर यह 4.2 प्रतिशत रह गयी।

उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। देश की अर्थव्यवस्था में चालू तिमाही (जुलाई-सितंबर) में पुनरूद्धार देखने को मिलेगा।”

बनर्जी ने कहा कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर इस साल के मुकाबले बेहतर होगी। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में रिकार्ड 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है। कई एजेंसियों और संस्थानों ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान जताया है।

गोल्डमैन सैक्श ने अपने पूर्व के अनुमान को संशोधित करते हुए 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 14.8 प्रतिशत जबकि फिच रेटिंग्स ने 10.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान जताया है। वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एफआईटी) के प्रोफेसर बनर्जी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर्याप्त था। उन्होंने कहा, “भारत का आर्थिक प्रोत्साहन सीमित था। यह बैंकों की तरफ से एक प्रोत्साहन था। मुझे लगता है कि हम कुछ और ज्यादा कर सकते थे।”

बनर्जी ने कहा, “प्रोत्साहन उपायों से कम आय वर्ग के लोगों की खपत पर खर्च में बढ़ोतरी नहीं हुई क्योंकि सरकार इन लोगों के हाथों में पैसा डालने को इच्छुक नहीं थी।” सरकार ने मई में 20.97 करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसमें आरबीआई की तरफ से नकदी समर्थन शामिल था। मुद्रास्फीति के बारे में बनर्जी ने कहा कि भारत की वृद्धि रणनीति बंद अर्थव्यवस्था वाली रही है। इसमें सरकार काफी मांग पैदा करती है जिससे ऊंची वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति भी बढ़ती है।

उन्होंने कहा, “भारत में 20 साल तक उच्च मुद्रास्फीति और उच्च वृद्धि दर की स्थिति रही। देश को पिछले 20 साल में स्थिर उच्च मुद्रास्फीति से काफी लाभ हुआ।” घाटे को पूरा करने के लिये रिजर्व बैंक द्वारा अतिरिक्त नोट छापने से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “घाटे क वित्त पोषण अच्छा विचार है।” सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में बनर्जी ने कहा कि शब्द आत्मनिर्भर को सावधानीपूर्वक उपयोग करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “अगर हम कच्चा माल घरेलू बाजार से खरीदने का प्रयास करते हैं, आत्मनिर्भर के साथ समस्या होगी। हम जिस क्षेत्र में अच्छे हैं, उसमें हमें विशेषज्ञ बनने की जरूरत है, उन्हीं वस्तुओं का आयात होना चाहिए, जिसकी जरूरत है।”

बनर्जी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर और प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह सरकार के लिये काम करना चाहेंगे, उन्होंने इसका सकारात्मक जवाब दिया। बनर्जी ने कहा, “मैं निश्चित रूप से विचार करूंगा। मैं उन लोगों में से हूं जिनके दिल में भारत के कल्याण की बात है… हमें वैचारिक मतभेदों को दूर रखना चाहिए।” (एजेंसी)