Lakshmi Vilas Bank

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मुंबई. निजी क्षेत्र के एक और संकटग्रस्त बैंक को सरकार ने मोराटोरियम में डाल दिया है. चेन्नई मुख्यालय वाले लक्ष्मी विलास बैंक पर 16 दिसंबर तक कई पाबंदियां लगा दी गई हैं. इसके तहत खाताधारक 25 हजार रुपए से अधिक की निकासी नहीं कर सकते हैं. लगातार घाटे में चल रहे लक्ष्मी विलास बैंक पर एक माह का प्रतिबंध मंगलवार शाम को लगाया गया और उसके तत्काल बाद ही भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संकटग्रस्त बैंक को डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड में विलय का प्रस्ताव का भी ऐलान कर दिया है. इससे बैंक के लाखों जमाकर्ताओं को झटका लगने के साथ तुरंत ही राहत भी मिल गई है. क्योंकि विलय प्रस्ताव से बैंक पर से प्रतिबंध जल्द हटने की उम्मीद है.

2500 करोड़ डीबीएस बैंक

केंद्रीय बैंक ने अपने विलय प्रस्ताव में कहा है कि डीबीएस बैंक तत्काल लक्ष्मी विलास बैंक में 2500 करोड़ रुपए की पूंजी डालेगा. विलय के बाद दोनों बैंकों की संयुक्त बैलेंस शीट मजबूत हो जाएगी. संभवत: यह पहली बार है कि रिजर्व बैंक ने किसी संकटग्रस्त बैंक के परिचालन पर प्रतिबंध लगाने के साथ तुरंत ही उसे बचाने का प्रयास भी किया है. अन्यथा कई महिनों या वर्षों लग जाते हैं. पीएमसी सहकारी बैंक पर तो प्रतिबंध लगे हुए 14 महिने हो गए, उसके जमाकर्ता दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन अभी तक पीएमसी बैंक का किसी अन्य बैंक में विलय का निर्णय नहीं लिया गया है.

2019 से मुश्किल में

लक्ष्मी विलास बैंक के लिए मुश्किलें 2019 में शुरू हो गई थीं, जब रिजर्व बैंक ने इंडिया बुल्स हाउजिंग फाइनेंस के साथ मर्जर के इसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. सितंबर में शेयरहोल्डर्स की ओर से सात डायरेक्टर्स के खिलाफ वोटिंग के बाद रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट बैंक को चलाने के लिए मीता माखन की अगुआई में तीन सदस्यों वाली कमिटी का गठन किया था.