ग्रोथ का केंद्र बन सकता है ‘CIIR’, इकोनॉमी को मिलेगा जबरदस्त बूस्ट

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नागपुर: जिस प्रकार दिल्ली के विकास के लिए एनसीआर का गठन किया गया और बुनियादी विकास किया गया है, उसी तर्ज पर मध्यभारत में नागपुर को ‘सेंट्रल इंडिया इंडस्ट्रियल रीजन’ (सीआईआईआर) का केंद्र बनाकर संपूर्ण मध्य भारत के विकास की संकल्पना को साकार किया जा सकता है. नागपुर- सीआईआईआर संपूर्ण मध्यभारत का ग्रोथ इंजन बन सकता है. जीरो माइल से 200-250 किलोमीटर दायरे में आने वाले लगभग 20-25 जिलों को इसका देश के विकास में अपना अहम रोल अदा कर सकेंगे.

क्षेत्र के जानकारों की मानें तो सीआईआईआर का मॉडल मध्यभारत के औद्योगिक, सामाजिक विकास में बड़ा बदलाव ला सकता है. इससे न केवल महाराष्ट्र के जिलों को लाभ होगा, बल्कि मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसढ़ के जिले भी विकसित हो सकेंगे. कई राज्यों के दूरदराज आज भी अविकसित हैं, ऐसे जिलों पर फोकस बढ़ेगा और वे मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे.

टारगेट पाने लेने होंगे कुछ बड़े फैसले

प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर्स की ओर ले जाने के सपने को सीआईआईआर काफी मदद कर सकता है. इस बड़े टारगेट को पाने के लिए कुछ बड़े फैसले लेने होंगे, जिसमें से एक सीआईआईआर ही नहीं सकता है. आज हमारे उद्योग कई क्षेत्रों में चीन से प्रतिस्पर्धा र पाते हैं जिसका मुख्य कारण उद्योगों में लॉजिस्टिक्स यानी माल परिवहन लागत 15- -160 प्रतिशत होना है. सीआईआईआर इ लॉजिस्टिक खर्च को 1 र इसका भी हल है. यह 10-12 फीसदी लाने में काफी मदद कर सकता है. देश के मध्य भाग में स्थित नागपुर अपने बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ निवेश आकर्षित करने के लिए पूर्णत: तैयार है. विशेषज्ञ प्राकृतिक संसाधन प्रदीप माहेश्वरी कहते हैं कि देश के सभी बड़े महानगर संख्या एवं सुविधाओं पर दबाव जैसी समस्याओं से परेशान हैं. सुविधाओं पर अत्यधिक खर्च के बावजूद कई तरह की परेशानियां नागरिक झेल रहे हैं. ऐसे में नागपुर के आसपास के 200-250 किमी परिक्षेत्र कारगर विकल्प बन सकता है.

कोयला, बिजली, खनिज उपलब्ध

उद्योग के लिए अत्यावश्यक कच्चा माल नागपुर से 250-300 किमी रेंज में आने वाले 4 राज्यों ॥ रेल और सड़क कनेक्टिविटी का तोड़ नहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. विकास में कोयला, बिजली, पानी, खनिज ‘फ्यूल’ का काम कर सकता है. राष्ट्र निर्माण में लगने वाले प्रमुख उत्पाद स्टील, सीमेंट बनाने हेतु लगने वाले बहुमूल्य खनिज जैसे मैंगनीज, आयरन ओर, कॉपर, लाइमस्टोन भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

पिछड़े जिले होंगे आबाद

माहेश्वरी का कहना है कि तेलंगाना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजधानी से दूर बसे जिलों को इससे काफी लाभ होगा. वे मुख्य मार्ग में आएंगे और इसका प्रत्यक्ष लाभ उन जिलों को भी मिलेगा. रोजगार के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव का लाभ भी उन्हें मिलेगा. विदर्भ को तो इससे लाभ है। ही साथ ही 30 जिलों का नक्शा बदल सकता है.

7 बंदरगाह भी दायरे में

इसी तरह से निर्यात के लिए देश के सभी मुख्य बंदरगाह नागपुर से समान दूरी पर होने की वजह से उद्योगों को काफ़ी राहत मिलेगी. रेलवे द्वारा मुम्बई-कोलकाता, नागपुर-दिल्ली के बीच फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है. अधिकांश रेलवे मार्ग 4 लेन का हो रहा है. इसमें भी मध्य क्षेत्र काफी अग्रणी है. इसका भी प्रत्यक्ष लाभ सीआईआईआर को मिल सकता है.

5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का रास्ता होगा साफ

4 राज्यों के पिछड़े जिले भी आएंगे फोकस में

बढ़ाना होगा नेटवर्क

इसके लिए एनसीआर की तर्ज पर नेटवर्क का विस्तार करना होगा. बस, रेल और रैपिड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देकर कार्य को आसान किया जा सकता है. एक दूसरे जिले से जितना रायपुर E. अधिक कनेक्टिविटी बढ़ेगी. क्षेत्र उतना तेजी से आगे बढ़ेगा. केंद्रीय मंत्री की फार्स्ट मेट्रो की संकल्पना इसी ओर इशारा भी कर रही थी लेकिन तकनीकी कारणों से इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका है. इसी प्रकार रीजन बस सेवा को बढ़ावा देकर भी कार्य को आसान बनाया जा सकता है. तीनों चारों राज्य चाहें तो इस पहल को आसान बना सकते हैं. सामूहिक प्रयास से इसे आगे बढ़ा सकते हैं. नागपुर मुंबई समृद्धि, प्रस्तावित नागपुर- गोवा महामार्ग, दिल्ली- नागपुर औद्योगिक कॉरिडोर इस कड़ी के मुख्य वाहक बन सकते हैं.

मुख्य बिंदु

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का होना
  •  30,000 करोड़ का राजस्व विदर्भ से जीरो माइल का बेहतरीन उपहार
  • 1.5 घंटे में कहीं भी विमान से पहुंचना संभव  खनिज, पानी, जमीन की भरपूर उपलब्धता
  • कार्बन उत्सर्जन का कोई खतरा नहीं स्टील, कोयला, सीमेंट का मुख्य उत्पादन क्षेत्र
  •  बड़े शहरों की तुलना में कीमतें अफोर्डेबल  एमआईडीसी के पास प्रचुर भू-खंड
  • 30,000 करोड़ है ‘कर’ कलेक्शन

इस वक्त विदर्भ के अलग- अलग विभाग लगभग 30,000 करोड़ रुपये का कर कलेक्शन कर रहे हैं, यह कई गुणा बढ़ सकता है. जीएसटी विभाग सालाना 15,000 करोड़, आयकर विभाग 10,000करोड़ राजस्व मिलता है. इसके अलावा स्टाम्प शुल्क, रजिस्ट्री, प्रॉपर्टी टैक्स आदि को मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा काफी सुखद होता है.

NCR के लिए अलग से बोर्ड

नेशनल कैपिटल रीजन को अस्तित्व में लाने के लिए अलग से नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड बनाया गया. जो दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के साथ समन्वय कर काम करता है. 55,000 वर्ग किलोमीटर में कुल क्षेत्र फैला है. इच्छाशक्ति हो तो एनसीआर की कल्पना को सेंट्रल इंडिया इंडस्ट्रियल रीजन (सीआईआईआर) के रूप में साकार किया जा सकता है.