Rally Starts After Downtrend In The Stock Market

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    मुंबई: वैश्विक बाजारों के संग भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में 5 माह लगातार गिरावट के बाद पिछले 1 महीने से बढ़त देखी जा रही है। 5 महीनों के दौरान दोनों मुख्य बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स (Bse Sensex) और एनएसई निफ्टी (Nse Nifty) में अधिकतम 18% की मंदी दर्ज हुई। जबकि बाजार का व्यापक रूख दर्शाने वाले सूचकांकों मिडकैप (Midcap) और स्मालकैप (Smallcap) में हमेशा की तरह ज्यादा यानी 25.7% तक की मंदी आई। गौरतलब है कि मिड और स्मालकैप शेयरों में हमेशा ही लार्जकैप शेयरों से ज्यादा तेजी और ज्यादा ही मंदी आती है। बाजार में इस बार मंदी का सबसे बड़ा कारण विश्व स्तर पर क्रूड ऑयल (Crude Oil) तथा अन्य कमोडिटीज की कीमतों (Commodities Prices) में रिकॉर्डतोड़ महंगाई (Inflation) और इस पर नियंत्रण के लिए अमेरिका व अन्य देशों में ब्याज दर (Interest Rates) वृद्धि किया जाना था। परंतु अब सट्टेबाजी (Speculation) ठंडी होने के साथ महंगाई का गुब्बारा (Bubble) फूट चुका है। मेटल्स, स्टील, खाद्य तेल, कॉटन, नैचुरल गैस में 30 से 50% की भारी गिरावट के बाद अब क्रूड ऑयल की कीमतें भी करीब 17% नीचे आ गयी हैं। यह बड़ी चिंता थी, जो दूर हो गयी है। जिससे निवेशकों में फिर उत्साह आ रहा है। 

    देश में मानसून की अच्छी प्रगति से भी उत्साह बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के अन्य फैक्टर तो पहले से ही पॉजिटिव बने हुए हैं। इन्हीं कारणों से मंदी का दौर समाप्त होकर बाजार फिर तेजी की तरफ अग्रसर होने लगा है। ‘enavabharat’ ने अपने 20 जून 2022 के विश्लेषण ‘मंदी खत्म होने के संकेत’ में जो अनुमान व्यक्त किया था, वह एकदम सही साबित हुआ है। तब से लेकर अब तक सेंसेक्स-निफ्टी में 10% और मिड-स्मालकैप में 14% से अधिक तेजी दर्ज हो चुकी है।

    तेजी की तरफ अग्रसर होता बाजार: आलोक रंजन

    IDBI म्यूचुअल फंड (IDBI Mutual Fund) के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आलोक रंजन ने कहा कि जैसा पिछले महीने हमने अनुमान व्यक्त किया था कि भारतीय बाजार में मंदी खत्म होने के संकेत मिलने लगे हैं और लॉन्ग टर्म निवेश के लिए गिरते भावों पर निवेश के लिए अच्छे अवसर उभरने लगे हैं। अनुमान के मुताबिक ही बाजार का रूख रहा है। तभी से बढ़त आ रही है। सबसे बड़ी चिंता क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के कारण थी, जो अब कम हो गयी है। ऊपरी स्तर से क्रूड ऑयल करीब 20% गिरकर 100 डॉलर के करीब आ गया है। साथ ही अन्य कमोडिटीज की कीमतों में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। इस वजह से विश्व स्तर पर महंगाई की चिंता कम हुई है। संभवत: महंगाई का सबसे खराब दौर बीत चुका है और आगामी महीनों में अमेरिका, भारत सहित सभी देशों के महंगाई के आंकड़ों में गिरावट का ट्रेंड दिखाई देने की उम्मीद है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक बुधवार को अपनी बैठक में 75 से 100 बेसिस पॉइंट की ब्याज दर वृद्धि कर सकता है, लेकिन उसके बाद आगामी महीनों में ब्याज दरों में इतनी तेजी से वृद्धि किए जाने की संभावना कम रहेगी। यह सब निवेशकों के उत्साह को बढ़ाने वाले फैक्टर हैं। दूसरे, विगत महीनों में आई गिरावट के बाद अब बाजार का वैल्यूएशन काफी उचित स्तरों पर आ गया है। इसी कारण विदेशी निवेशक भी अपनी बिक्री कम कर फिर से निवेश बढ़ाने लगे हैं।

    अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर स्थिति में

    आलोक रंजन ने कहा कि जहां तक भारतीय मुद्रा में गिरावट की बात है। यूएस डॉलर के सामने रुपया 7% से ज्यादा गिरकर 80 के स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन इस गिरावट से ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर स्थिति में है और यूरो, पौंड जैसी मुख्य मुद्राओं के सामने तो अच्छी स्थिति में है। कुल मिलाकर मंदी का दौर खत्म होकर अब बाजार धीरे-धीरे तेजी की तरफ अग्रसर होता हुआ दिखाई दे रहा है।

    ग्रोथ स्टॉक्स में खरीदी शुरू: श्रीकांत चौहान

    कोटक सिक्युरिटीज (Kotak Securities) के रिसर्च हैड श्रीकांत चौहान ने कहा कि विश्व स्तर पर ऑयल, मेटल और एग्री कमोडिटीज की कीमतों में आई भारी गिरावट के बाद अंतर्राष्ट्रीय निवेशक यह मान रहे हैं कि अब महंगाई दर पीक ऑउट हो चुकी है तथा यूएस फेडरल रिजर्व अपनी अगली मीटिंग में आक्रामक रूख नहीं अपनाएगा और ब्याज दर में 100 की बजाय 75 बेसिस पॉइंट की ही वृद्धि करेगा, जो कि मार्केट डिस्काउंट कर चुका है। साथ ही यूएस के आर्थिक आंकड़े भी अनुमान से बेहतर आ रहे हैं। इसी कारण अमेरिका सहित सभी वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी का रूख बन रहा है। कुल मिलाकर माहौल पॉजिटिव होने से भारतीय बाजार में अब मंदी की आशंका तो खत्म हो गयी है, लेकिन फिलहाल ज्यादा बड़ी तेजी की संभावना तो नहीं दिख रही है। मौजूदा पुलबैक रैली में निफ्टी 17,000 या 17,2000 अंक जा सकता है। मार्केट में अब ग्रोथ स्टॉक्स में खरीद शुरू हो गयी है। इसी कारण दिग्गज कंपनियों के शेयरों में सबसे पहले तेजी आ रही है। एक गौर करने वाली बात यह है कि अप्रैल 2022 के बाद पहली बार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 जुलाई को 1500 करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध खरीद की। यह काफी पॉजिटिव संकेत है। अब देखना होगा कि आगे महंगाई के आंकड़े कैसे आते हैं और एफआईआई क्या रूख अपनाते हैं। निवेश की दृष्टि से फाइनेंशियल, आईटी, ऑटो और एफएमसीजी शेयरों में कुछ गिरावट आती है तो लंबी अवधि के नजरिए निवेश करना फायदेमंद होगा।

    टॉप पिक : SBI, ICICI बैंक, इंफोसिस, TCS, टेक महिंद्रा, M&M, टाटा मोटर्स, HUL, ब्रिटानिया।   

    शनि और गुरु लाएंगे बाजार में तेजी: आर्यन राणा

    एस्ट्रो इकोनॉमिस्ट आर्यन राणा ने कहा कि ज्योतिष की दृष्टि से अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार का अध्ययन किया जाए तो जब तक न्याय और अर्थव्यवस्था के कारक ग्रह शनिदेव स्वराशि (जनवरी 2020 से मार्च 2025 तक) में गोचर करते रहेंगे, उतार-चढ़ाव तो आएंगे, परंतु मंदी लंबे समय तक नहीं रहेगी। यानी तेजी का दौर चलता रहेगा। और शनि फरवरी 2020 से स्वराशि (मकर और कुंभ) में गोचर कर रहे हैं। तभी से उतार-चढ़ाव के साथ अर्थव्यवस्था व बाजार में तेजी का दौर जारी है। और यह उतार-चढ़ाव अन्य ग्रहों के गोचर से आ रहा है। अप्रैल 2022 से 18 महीने के लंबे राहु के मेष राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजारों के लिए समय काफी उतार-चढ़ाव वाला रहने वाला है। हालांकि इस दौरान अन्य प्रमुख ग्रह अर्थव्यवस्था, इक्विटी बाजार और निवेशकों की किस्मत को सपोर्ट और प्रभावित करना जारी रखेंगे।

    शनि की 110 से अधिक दिनों की लंबी वक्री चाल

    आर्यन राणा ने कहा कि 5 जून से 23 अक्टूबर तक शनि की 110 से अधिक दिनों की लंबी वक्री चाल में आर्थिक हालात सुधरेंगे। साथ ही धर्म गुरु बृहस्पति, जो धर्म, ज्ञान, भाग्य, शुभता, वैश्विक अर्थव्यवस्था और विस्तार के ग्रह माने जाते है, 28 जुलाई से 23 नवंबर तक अपनी ही राशि में वक्री रहेंगे, जो इंगित करता है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये जो प्रयास किये जा रहे हैं, उनके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। मंगल देव, जो युद्ध के कारक ग्रह है, ने जब फरवरी में शनि के साथ युति बनाई तो रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ गया, लेकिन अब मंगल 10 अगस्त को राहु-केतु के काल सर्प दोष से बाहर निकल जाएंगे और रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को अतंत: विराम लग सकता है और महंगाई में भी काफी कमी आने की संभावना है। इसलिए मेरा मानना है कि शेयर बाजार में अगले छह महीने तेजी से सुधार हो सकता है।