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नई दिल्ली: जहां बीते 13 मार्च को शेयर मार्केट (Share Market) में भारी गिरावट दिखने को मिली। दरअसल बीते बुधवार को Sensex में भारी 1000 अंकों से ज्यादा की गिरावट दिखी, वहीं निफ्टी भी 350 अंक तक टूट गया। इधर बाजार में इस तबाही के चलते एक ही दिन में निवेशकों के 14 लाख करोड़ स्वाहा हो गए हैं। शेयर मार्केट में इस गिरावट की वजह से न सिर्फ निवेशकों को बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिकों की संपत्ति में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 

अडानी-अंबानी को भी नुकसान

वहीँ दुनिया की ख़ास बड़ी और दिग्गज कारोबारियों में शामिल अंबानी और अडानी की कमाई पर भी शेयर मार्केट के टूटने का असर हुआ है। जहां अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी को 66,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ और वो 100 अरब डॉलर के क्लब से ही बाहर हो गए। वहीं दूसरी ओर देश की सबसे वैल्युएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को भी 36,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 

इसीलिए बाजार में आई गिरावट 

बता दें कि, बाजार में आई गिरावट का कारण स्मॉल कैप (Small Cap) इंडेक्स में भारी बिकवाली और अमेरिकी महंगाई के आंकड़े बताए जा रहे हैं। इस भंयकर गिरावट के कारण मार्केट का सेंटीमेंट बदल गया और दिग्गज कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त ब्रिकी हुई। वहीँ इस गिरावट के पीछे मार्केट रेगुलेटर SEBI के चेयरपर्सन का वो सख्त बयान है। जिसमें उन्होंने कहा था कि छोटे और मिड शेयरों में अब हेराफेरी के संकेत मिल रहे है। इसके बाद बीते बुधवार के इस गिरावट में निवेशकों को करीब 14 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

क्या होता है स्मॉल कैप,मिड और लार्ज कैप 

यहां समझें कि, आखिर स्मॉल कैप फंड (Small Cap Fund) कौन से फंड होते हैं। दरअसल ये वो फंड होते हैं, जिसके पैसे को शेयर मार्केट में ‘स्मॉल कैप’ कैटेगरी वाले स्टॉक में निवेश किया जाता है। यह भी समझें की जिस कंपनी का मार्केट वैल्यू (मार्केट कैप) 5000 करोड़ रुपये से कम होता है, वो स्माल कैप कंपनी मानी जाती है। खासकर नई कंपनियां स्मॉल कैप कैटेगरी में आती हैं। 

वहीं मार्केट कैप के आधार पर 1 से लेकर 100 रैंक तक की कंपनी को लार्ज कैप मानी जाती है, उसके बाद 101 से लेकर 250 रैंक तक की कंपनी मिडकैप कैटेगरी में आती है। जबकि 251 से लेकर उसके बाद आनी वाली सभी कंपनियां स्मॉल कैप मानी जाती हैं।

समझें ‘स्मॉल कैप’ का नफा-नुकसान 

हालांकि स्मॉल कैप कंपनियां छोटी होती हैं, लेकिन मार्केट एक्सपर्ट और निवेशक इसकी ग्रोथ को लेकर सकारात्मक रुख अपनाती है। लेकिन अगर ये कंपनियां असफल हो गईं तो मार्केट से बाहर भी हो सकती हैं, लेकिन अगर इनका प्रोडक्ट या सर्विस काम कर गया तो अच्छा रिटर्न मिल सकता है। वहीं म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर स्मॉल कैप फंड में ऐसी ही कंपनियों में पैसे लगाता है। अगर इस तरह के फंड में ज्यादा रिटर्न दिख रहा है तो वहीं नुकसान भी बहुत ज्यादा होता है। इसलिए कई बार नए निवेशकों को जिन्हें म्यूचुअल फंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, उन्हें स्मॉल कैप फंड न लेने की सलाह दी जाती है।