आर्थिक संकट की वजह से चंद्रपुर विभाग अंतर्गत 1800 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है।
- कर्मचारियों पर भूखे रहने की नौबत
- भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा निगम
चंद्रपुर. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 22 मार्च से देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया। इसकी वजह से पिछले 4 महीने से राज्य परिवहन निगम भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आर्थिक संकट की वजह से चंद्रपुर विभाग अंतर्गत 1800 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है। इसकी वजह से कर्मचारियों पर भी भूखे रहने की नौबत आ गई है।
लॉकडाउन के पूर्व तक चंद्रपुर विभाग अंतर्गत चंद्रपुर, राजुरा, वरोरा और चिमूर डिपो की 250 बसेस राज्य के शिर्डी, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, गडचिरोली, नागभीड, अहेरी, राजुरा, घुग्घुस, वरोरा के अलावा अंतर राज्यीय हैदराबाद, राजनांदगांव, आदिलाबाद, मंथनी, आसिफाबाद, कागजनगर आदि स्थानों के यात्रियों को सेवा दे रही थी।
इस माध्यम से चंद्रपुर विभाग को प्रतिमाह 30 से 35 लाख रुपए की आय होती थी। किंतु अनलाक प्रक्रिया के पश्चात बस की कुल क्षमता के 50 प्र.श.यात्री, यात्रियों को मास्क लगाना अनिवार्य, बसेस को सैनेटाइज करने के आधार पर 22 मई से जिला अंतर्गत रापनि बस सेवा शुरु कर दी गई। शर्तो के आधार पर 50 प्र.श. यात्रियों को बसेस में बैठाया जा रहा है। इसके चलते वर्तमान में चंद्रपुर विभाग को महज 1 से डेढ लाख रुपए की आय हो रही है। जिसके चलते चंद्रपुर विभाग भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
बसेस की आय कम होने की वजह से मार्च में 1800 कर्मचारियों को आधा वेतन दिया गया। अप्रैल में पूरा वेतन, मई में आधा वेतन दिया गया। इसके बाद जून और जुलाई का वेतन कर्मचारियों को आज तक न दिए जाने की जानकारी चंद्रपुर विभागीय नियंत्रक राजेंद्रकुमार पाटील ने दी है।
किराये बढ़ने की अफवाह
विभागीय नियंत्रक पाटील ने कहा कि सुना गया है कि ग्रामीण परिसर में अफवाह फैली है कि राज्य परिवहन निगम से लाकडाउन काल में बसेस का किराया बढा दिया है। उन्होंने साफ किया है कि लाकडाउन के पूर्व की भांति ही रापनि किराया ले रही है। यह कुछ निजी वाहन चालकों ने अपने नीहित स्वार्थ के लिए यह अफवाह फैला दी है कि बसेस का किराया बढ़ गया है।