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चंद्रपुर. जिले में विभिन्न 34 रेती घाटों की जनसुनवाई ऑनलाइन बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय में हुई. इसका यहां के पर्यावरणवादियों ने कड़ा निषेध किया. उन्होंने जनसुनवाई रद्द करने की मांग की. महाराष्ट्र प्रदूषण विभाग जिला खनिकर्म कार्यालय आदि विभागों के समन्यव से उक्त जनसुनवाई ली गई. इसमें विदर्भ से केवल 53 लोगों ने अपना सहभाग दर्शाया. जिन लोगों के पास इंटरनेट व मोबाइल की सुविधा थी, वे ही इसमें शामिल हो पाए. किंतु ग्रामीण क्षेत्र के लोग दोनों सुविधाएं नहीं होने से हिस्सा नहीं ले पाए.

प्रकल्प से जुड़े लोग नदारद
जिलाधिकारी कार्यालय की स्क्रीन पर देखा गया, कि जिन स्थान पर प्रकल्प है, उन स्थानों के आसपास के नागरिक जनसुनवाई में शामिल ही नहीं हुए थे. नदी परिसर में रेती घाट खोदा जा रहा हो, तो इसका मछली पालन पर काफी परिणाम होता है. किंतु मछुआरा संस्था का कोई भी प्रतिनिधि इस जनसुनवाई में उपस्थित नहीं था. परिसर के किसान भी उपस्थित नहीं थे. वास्तव में देखा जाए, तो कोरोना संक्रमण के समय में इस तरह की जनसुनवाई जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा एवं महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा नहीं ली जानी चाहिए थी.

गांव में परिवहन सेवा बंद होने से गांव के लोग जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंच पाने में असमर्थ थे. गांव में इंटरनेट की सुविधा नही है. लोगों को जूम एप्लीकेशन क्या है इसका पता नहीं है. यही नहीं जूम एप्लीकेशन का पासवर्ड ही गलत दर्शाया गया था. जनसुनवाई रद्द कर स्थिति सुधरने के बाद लेने की मांग डा. योगेश दूधपचारे, डा. सचिन वझलवार, डा. सुरेश चोपणे तथा ग्रीन प्लेनेट सोसाइटी के सदस्यों ने की.