On an average, each administrator has the responsibility of 4 gram panchayats.

  • चुनाव की घोषणा होते ही सरगर्मीयां तेज
  • गुप्त बैठकों का दौर शुरू

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भिसी. पिछले कुछ दिनों पहले भिसी ग्रापं चुनाव के लिए आरक्षण की घोषणा हुई. चिमूर तहसील में भिसी सबसे बडी ग्रापं के रूप में परिचित है. 17 सदस्यीय ग्रापं में 9 सीटे महीलाओं के लिए आरक्षित की है जबकी अन्य सीटे सामान्य के लिए रखी गई है. कोरोना संक्रमण के चलते अगस्त महीने में होनेवाले यह चुनाव रद्द किए गए थे. वही चुनाव अगले महीने 15 जनवरी को लिए जानेवाले है. चुनाव की घोषणा होते ही भिसी में अलग_अलग गुटों की गुप्त बैठक लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिसके चलते ठंड के मौसम में चुनावी सरगर्मीयां बढ गई है.

भिसी में पिछले कई वर्षो से रेवतकर गुट, मुरकुटे गुट तथा ठोंबरे गुट ग्रामपंचायत चुनाव लडवाते आए है. पिछले कुछ वर्षो इन तिनों गुटो में कई बार उलटफेर हुए है. यह तिनों गुट आज लुप्त होने के कगार पर है. इनकी जगह भाजपा, कांग्रेस तथा वंचीत बहुजन आघाडी ने ली है. भिसी ग्राम पंचायत में कुल ६ प्रभाग है. 

इसमें प्रभाग 1 के लिए एक जगह सर्वसाधारण खुला, एक महीला नामाप्र, तथा एक खुला प्रवर्ग महीला के लिए आरक्षित  हुआ है. प्रभाग 2 में एक जगह सर्वसाधारण, एक जगह नामाप्र महीला तथा एक जगह अनुसुचित जाति महीला के लिए आरक्षित किया गया है. प्रभाग तीन में मात्र दो ही जगह है जिसमें एक सर्वसाधारण तथा दूसरी अनूसुचित जाति की महीला के लिए आरक्षित है. प्रभाग चार में अनूसुचित जनजाति के लिए एक, अनूसुचित जनजाति की महीला के लिए एक, तथा नामाप्र महीला के लिए एक जगह आरक्षित की गई है. प्रभाग 5 में अनूसुचीत जाति के लिए एक, नामाप्र एक तथा खुला प्रवर्ग (ओपन ) की महीला के लिए आरक्षित हुआ है. प्रभाग 6 के लिए नामाप्र एक, खुला प्रवर्ग महीला एक तथा एक जगह खुला प्रवर्ग के लिए आरक्षित हुआ है. 

फिलहाल सरपंच पद के लिए आरक्षण की घोषणा होना बाकी है. चुनाव घोषीत होते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. सरपंच पद किस प्रवर्ग के लिए आरक्षित होगा इस ओर सभी की निगाहें टिकी हुई है.

नगरपंचायत बनने की आस धुमील

भिसी ग्रापं को तहसील कि सबसे बडी ग्रामपंचायत का दर्जा प्राप्त है. भिसी की जनसंख्या को देखते हुए पिछले कुछ वर्षो से नगरपंचायत का दर्जा दिलाने के लिए चिमूर के विधायक किर्तीकुमार भांगडिया प्रयासरत है. पिछले 5 वर्ष में रहते हुए उन्होने भिसी को अप्पर तहसिल का दर्जा दिलवाया तथा 2020 में गुडीपाडवा के पावन पर्व तक भिसी को नगरपंचायत का दर्जा दिलाने का आश्वासन दिया था. तथा इसके लिए भिसी ग्रामपंचायत की ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर उपरोक्त प्रस्ताव सरकारी कार्यालय तक पहुचाया था. परंतु 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में महाविकास आघाडी की सत्ता आने के बाद भिसीवासीयों की नगरपंचायत की मांग धुमील होती नजर आ रही है.

सरपंच आरक्षण चुनाव के बाद

स्थानीय स्वराज्य संस्थाओ मे आज तक सरपंच पद का आरक्षण चुनाव के पहले ही घोषीत किया जाता था. उस आरक्षण के अनुरुप राजनितिक गुट, पार्टीया अपने उमीदवार चुनावी मैदान में उतारते थे. परंतु अगले महीने होने वाले चुनाव में सरपंच पद का आरक्षण चुनाव होने के बाद घोषीत किए जाने के राज्य सरकार के फैसले ने राजनेताओं की मुश्किलें बढा दी है. राज्य सरकार के इस निर्णय से राजनितिक पार्टीओं में रोष व्याप्त है.