4 लाख 82 हजार 88 हेक्टयर में होगी खरीफ की फसल, कपास पर बोंड ईल्ली से डरे किसान

    Loading

    • सोयाबीन पर ज्यादा जोर
    • खाद, बीजों की कालाबाजारी पर कृषि विभाग की नजर

    चंद्रपुर: जिले में मानसून पूर्व बारिश ने जोरदार असर दिखाने के बाद 7 जून से लगे मृगनक्षत्र में भी देर से ही सही अच्छी खासी बारिश होने से किसान काफी आनंदित है. अब बीज बुआई के काम में तेजी आयी है. बीज और खाद किसानों ने पहले ही खरीद रखा है. किसानों को बीज खरीदी के लिए किसी तरह की कोई दिक्कतें ना आये, बीजों की कालाबाजारी या पुराने बीजों को नये दामों से बेचने पर संबंधित कृषि केन्द्रों का लायसन्स रद्द करने के निर्देश जिला प्रशासन ने दिए है.कृषि विभाग भी बोगस बीजों के संदर्भ में ध्यान रखे हुए है. 

    चंद्रपुर जिले में राजुरा, कोरपना, भद्रावती, वरोरा एवं चंद्रपुर इन तहसीलों में प्रमुखता से कपास, सोयाबीन, तुअर, ज्वारी, यह प्रमुख फसलें ली जाती है. जबकि मूल, सावली, नागभीड़, सिंदेवाही, पोंभूर्णा, चिमूर इन तहसीलों में मुख्यत: धान की फसल ली जाती है. चंद्रपुर जिले में इस बार 4 लाख 82 हजार 88 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल का नियोजन किया गया है.

    चंद्रपुर जिले में सर्वाधिक रूप से कपास लिया जाता है. कपास का रोपाई का नियोजन 1 लाख 88 हजार है. इसके साथ साथ धान का नियोजन 1 लाख 85 हजार हेक्टर है. सोयाबीन 57 हजार 200, तूअर 40 हजार हेक्टेयर और अन्य खरीफ फसलों का नियोजन 12 हजार हेक्टेयर है. जिले में प्रमुख रूप से कृषि क्षेत्र मानसून पर निर्भर है. इसलिए मानसून के तेजी पकडने केसाथ ही बीज बुआई के काम में तेजी आ जाती है.

    इस समय अधिकांश किसान वेट एन्ड वॉच की स्थिति में है. जिस तरह से कुछ वर्षों में उन्हें फसल को लेकर नुकसान उठाना पड़ा है उसे देखते हुए साथ ही बीजों के दाम काफी बढ जाने से रिस्क उठाने के बजाय किसान मानसून के जोर पकडने की प्रतीक्षा में है. हालांकि गुरूवार, शुक्रवार को जिले में अच्छी बारिश हुई है. परंतु मानसून जिस तरह से मुंबई, पश्चिम महाराष्ट्र में पूरे शबाब पर है वैसी स्थिति यहां निर्माण नहीं हुई है. कुछ देर के जोरदार बारिश जरूर होती है परंतु उसके बाद रिमझिम बारिश होकर मौसम सामान्य हो जाता है. मानसून के जोर पकडने से खेत भूमि बीज रोपाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है. जिन निचले इलाकों में जलभराव हुआ है वहां किसानों ने बीज रोपाई का काम शुरू कर दिया है. शेष क्षेत्र में अब भी किसानों को अच्छी बारिश का इंतेजार है.

    सर्वाधिक कपास पॉकिट का कृषि संचालक के पास पंजीयन

    जिले में इस बार कपास और सोयाबीन रोपण क्षेत्र बढने की संभावना कृषि विभाग द्वारा जतायी गई है. इसके लिए कृषि विभाग ने बीटी कपास के 9 लाख  86 हजार पॉकीट की मांग कृषि संचालकों के पास की है. इसके अलावा धान 2 हजार 800 क्विंटल, तूअर 2 हजार 800 क्विंटल, सोयाबीन 31 हजार 443 क्विंटल बीजों की जिले में मांग की गई है.

    ई-मेल, वॉटसअप पर शिकायत की सुविधा

    ख्ररीफ हंगाम के लिए किसानों की हलचल शुरू है. कृषि मौसम शुरू होते ही बीजों की कालाबाजारी होने की संभावना होती है. कई मामलों में अधिक राशि वसूली जाती है. इस पार्श्वभूमि पर कृषि आयुक्त के निर्देश अनुसार किसानों को शिकायत करने की सुविधा उपलब्ध करके दी गई है. कृषि निविष्ठा के लिए अधिक राशि लेने पर किसान वाटसअप पर या कृषि विभाग के ई_मेल पर प्रमाणों सहित शिकायत कर सकते है ऐसा आहवान किया गया है.

    उगाई क्षमता को लेकर किसान संभ्रम में

    गांव में ही बीज उगाई प्रक्रिया करें ऐसा आहवान इससे पूर्व कृषि विभाग ने किसानों से किया है. इसके अनुसार जिले के अनेक गांव में बीजों की उगाई क्षमता प्रक्रिया चलाई गई है. परंतु कृषि केन्द्रों के बीजों के बारे में किसानों में अब भी संभ्रम कायम है. बीज कानून 1966 अनुसार कोई बीज बेचते हुए किसानों से शपथपत्र भरकर लेने में मनाई है.

    मात्र कुछ विक्रेता इस प्रकार का शपथपत्र भराने में किसानों पर दबाव डाले जाने की जानकारी है. 70 प्रश से कम उगाई क्षमता वाले बीज नहीं बेचे जा सकते है. परंतु अधिक मुनाफा कमाने के लिए कुछ विक्रेता कंपनियों से बीज खरीदी करते है और किसानों को बीज बेचते हुए उनसे शपथपत्र भरकर लेते है. इस संदर्भ में कृषि विभाग के पास अब तक एक भी शिकायत नहीं आयी है.